
नागपुर महानगरपालिका प्रशासकीय भवन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Property Tax: नागपुर महानगरपालिका ने शहर के 524 उन शिक्षण संस्थानों को संपत्ति कर में छूट दे दी है जिनके पास धर्मादाय आयुक्त से अनुमति है लेकिन अब मांग उठ रही है कि यह छूट सभी पंजीकृत शिक्षण संस्थानों को दी जाए। इस संबंध में कुछ विधायकों ने विधान परिषद में एक दिलचस्प सुझाव दिया है। चैरिटी अधिनियम के तहत पंजीकृत शैक्षणिक संस्थानों को सामान्य संपत्ति कर से छूट देने का निर्णय मनपा को अपने स्तर पर लेना चाहिए था।
चूंकि मनपा एक स्वायत्त संस्था है, इसलिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही विधान परिषद में विधायकों द्वारा पूछे गए एक तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह स्पष्ट कर दिया था। मुख्यमंत्री ने इस लिखित उत्तर में बताया था कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका, अमरावती और नागपुर महानगरपालिका ने इस संबंध में अपने स्तर पर निर्णय लिए हैं। फिर भी विधायक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस मुद्दे को विधान परिषद में फिर से उठाएंगे।
जानकारी के अनुसार अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्थाओं पर आवासीय दर से सामान्य कर यानी 30 प्रतिशत सामान्य कर और नियमानुसार अन्य कर, इसके अलावा गैर अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्थाओं पर व्यावसायिक आय के लिए 45 प्रतिशत के स्थान पर 37.5 प्रतिशत की दर से सामान्य कर।
इसी तरह से केवल मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों के लिए उपयोग किए जाने वाले भवनों के लिए 45 प्रतिशत की दर से सामान्य कर, व्यावसायिक उपयोग के लिए उपयोग किए जाने वाले भवनों के लिए 45 प्रतिशत की दर से सामान्य कर और नियमानुसार अन्य कर लगाने का निर्णय लिया गया है।
यह भी पढ़ें:- 1 साल में फडणवीस सरकार का प्रदर्शन कैसा? सर्वे रिपोर्ट में खुला भ्रष्टाचार से लेकर इंफ्रा तक का सच
महानगरपालिका ने शहर के 524 शिक्षण संस्थाओं को सामान्य कर में छूट दी है। न्यायालय के निर्णय के अनुसार यदि किसी शिक्षण संस्था में व्यावसायिक उपयोग होता है यानी कैंटीन किराए पर दी जाती है तो महानगरपालिका को ऐसी शिक्षण संस्थाओं पर संपत्ति कर लगाने के लिए अधिकार है।
महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम 1949 के नियम 32(1)(ख) के अनुसार धार्मिक स्थलों और लोक सेवा संस्थानों को सामान्य कर, शिक्षा कर और संपत्ति कर से छूट प्रदान की गई है। हालांकि अन्य करों का भुगतान करना होगा। लोक सेवा संस्थानों में शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं लेकिन धर्मादाय आयुक्त द्वारा अनुमति प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के लिए हर साल एक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। नियम है कि ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर संस्थान धर्मादाय नहीं रह जाता।






