मनपा का महासंग्राम (डिजाइन फोटो)
Nagpur Municipal Fund Issue: आसीनगर जोन अंतर्गत आने वाले उत्तर नागपुर के प्रभाग-7 के पूर्व पार्षदों का मानना है कि मनपा में सत्ता नहीं होने का खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ा है। विकास के लिए पूरे 5 वर्ष निधि ही नहीं दी गई। भेदभाव कर केवल भाजपा के ही पूर्व पार्षदों को निधि का आवंटन हुआ है। किसी तरह से विधायक निधि आदि का जुगाड़ कर क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं जुटाने का प्रयास किया गया।
कांग्रेस के पार्षद रहे संदीप सहारे ने कहा कि 50 लाख रुपए की निधि ई-लाइब्रेरी को मिलने के कारण लष्करीबाग की यह लाइब्रेरी युवाओं के लिए अब काम आ रही है। मनपा ने इस ई-लाइब्रेरी को खंडहर बनाने की पूरी कोशिश की थी। पूरे शहर की प्रथम ई-लाइब्रेरी होने के दिशा में इसका काम शुरू हुआ था किंतु मनपा ने अंत में कम्प्यूटर के लिए निधि अटका दी।
उत्तर नागपुर से भाजपा ने स्थायी समिति सभापति बनाया किंतु उन्होंने भी एक विशेष क्षेत्र में ही निधि खर्च की। मनपा से जो भी निधि मिली उससे सीमेंट रोड, गार्डन, नार्थ कैनाल की सुरक्षा दीवार, डामरीकरण जैसी मूलभूत सुविधाओं के काम किए। अन्य पूर्व पार्षदों ने कहा कि विकास के लिए निधि प्राप्त करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। इस तरह से निधि दी गई जैसे कोई कर्ज दिया जा रहा हो।
प्रभाग-7 में राजनीतिक समीकरणों को देखा जाए तो यहां पर भाजपा को पैर पसारने के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि प्रभाग-7 में ही भाजपा के कई दिग्गज नेता भी रहते हैं। जहां से वे पार्षद रहकर मनपा में बड़े पदों पर भी रह चुके हैं किंतु तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा यहां अपने लिए जगह नहीं बना पाई है। केंद्र, राज्य और मनपा में सत्ता होने से भाजपा पूरे उत्तर नागपुर की राजनीति को बदल सकती थी किंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
भाजपा के ही कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई वे दूसरे कार्यों में जुटे रहे। पार्टी के काम के नाम पर केवल बैठकों में ही शामिल होने का दिखावा हुआ। ऐसा नहीं था कि भाजपा का प्रदर्शन कुछ कम रहा, लगभग प्रत्येक सीट पर भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी रही। ऐसे में मनपा में सत्ता रहते हुए यदि कार्यकर्ताओं को बढ़ावा दिया जाता तो प्रभाग की 4 सीटों में से किसी न किसी सीट पर जीत भी हासिल की जा सकती थी। प्रभाग-7सी में भाजपा दूसरे नंबर पर थी।
| विजेता प्रत्याशी | वोट | दूसरे नंबर के प्रत्याशी | वोट |
|---|---|---|---|
| वीरंका भिवगड़े | 8,550 | रेणुका दहिवले | 7,058 |
| मो. जमाल शेख | 8,509 | विजय कराडे | 7,324 |
| मंगला लांजेवार | 9,310 | मीना तरारे | 7,697 |
| संदीप सहारे | 8,647 | अभिषेक शंभरकर | 7,130 |
बसपा :- वीरंका भिवगडे, मंगला लांजेवार, सुबोध साखरे, संजय जायसवाल, तपेश पाटिल, मुरली मेश्राम।
कांग्रेस :- संदीप सहारे, पंकज सावरकर, कल्पना द्रोणकर, अभिषेक शंभरकर, विजय कराडे, बॉबी दहीवले, कुणाल निमगडे, अमन भामरा
भाजपा :-मीना तरारे, रवीन्द्र डोंगरे, राखी मानवटकर, मनोज पांडे, प्रभाकर येवले, नवनीतसिंह तुली, राजू बाबरा।
| वर्ग | संख्या |
|---|---|
| कुल जनसंख्या | 63,370 |
| अनुसूचित जाति | 29,680 |
| अनुसूचित जनजाति | 4,134 |
| ओबीसी | 8,000 |
| मुस्लिम | 14,000 |
| सिख | 6,000 |
7-अ अनुसूचित जाति (महिला)
7-ब ओबीसी (पुरुष)
7-क सर्वसाधारण (महिला)
7-ड सर्वसाधारण (पुरुष)
मनपा प्रशासन की ओर से हाल ही में प्रभागों के आरक्षण निकाले गए। जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का ड्रा तय किया गया जिसके अनुसार प्रभाग की जनसंख्या तो 63,370 बताई गई किंतु आश्चर्यजनक यह है कि मतदाताओं की संख्या 64,723 है। यह आंकड़ा भी महानगरपालिका प्रशासन की ओर से दिया गया है। अधिकृत आंकड़ा जनसंख्या से अधिक होने के कारण यह खेल प्रभाग की जनता की समझ से बाहर है।
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गत चुनाव में कुछ सीट पर कांग्रेस और बसपा के बागी उम्मीदवार भी खड़े हुए थे। यहां तक कि राकां अलग से लड़ी थी। इसके बावजूद बसपा या कांग्रेस ही जीत पाई थी। गत समय निर्दलीय लड़े संजय जायसवाल ने अब बसपा से टिकट मांगा है। दावेदारी पुख्ता करने के लिए लगातार जनता के सम्पर्क में हैं। इसी तरह से बसपा से चुनाव लड़े अभिषेक शंभरकर इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
जिस तरह से प्रभाग-7 की जनसंख्या से अधिक मतदाताओं की संख्या है। उसी तरह से वर्ष 2017 के आम चुनावों में प्रभाग-7 के लिए जितने कुल वोट पड़े थे उससे अधिक यहां पर अनुसूचित जाति की जनसंख्या है। प्रशासन द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार प्रभाग-7 में अनुसूचित जाति की संख्या 29,680 बताई जाती है। वर्ष 2017 में हुए आम चुनावों में प्रभाग-7 में कुल 28,843 वोट पड़े थे।