NIT के लाखों भूखंडों को ‘फ्रीहोल्ड’ करने के लिए स्वतंत्र नीति (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur NIT Land: नागपुर शहर में नगर निगम के अस्तित्व में आने से पहले किराया पट्टे या लीज पर दिए गए लाखों भूखंडों को ‘फ्रीहोल्ड’ करने के लिए एक स्वतंत्र नीति की आवश्यकता है। नागपुर की इस जटिल समस्या के समाधान के लिए यदि अलग नीति बनाई जाती है, तो वह राज्य के अन्य शहरों के लिए भी मार्गदर्शक बन सकती है। इसी दृष्टि से संबंधित विभागों की बैठक लेकर स्वतंत्र नीति पर निर्णय लिया जाएगा, ऐसे संकेत प्रभारी मंत्री शंभूराज देसाई ने दिए।
इस संबंध में विधायक प्रवीण दटके और विधायक मोहन मते ने विधानमंडल में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। नागपुर शहर में 22 अभिन्यास क्षेत्रों में लगभग 9 हजार भूखंड हैं, जबकि नागपुर सुधार प्रन्यास (नासुप्र) के अधिकार क्षेत्र में 61,827 भूखंड आते हैं। इन भूखंडों को फ्रीहोल्ड करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इन क्षेत्रों में लगभग 10 लाख नागरिक निवास करते हैं। विधायक प्रवीण दटके ने कहा कि यदि ये भूखंड फ्रीहोल्ड किए जाते हैं, तो नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी और उन्हें मालकी हक के वैध पट्टे भी प्राप्त होंगे।
विधायक मोहन मते ने कहा कि नगर निगम द्वारा दिए गए भूखंडों और गालों (दुकानों) का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। इन भूखंडों का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के बजाय अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी मुद्दा उठाया कि दक्षिण नागपुर के मध्यवर्ती क्षेत्रों में चार बस्तियां अब भी ‘झुडपी जंगल’ (झाड़ी वन) की नोंद में दर्ज हैं, जबकि ये बस्तियां पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से आबाद हैं।
झुडपी जंगल की नोंद से बाहर न किए जाने के कारण इन बस्तियों के निवासियों को मालकी हक के पट्टे मिलने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इन क्षेत्रों में आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, इस ओर भी मते ने सदन का ध्यान आकर्षित किया। मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि किराया पट्टे या लीज पर दिए गए भूखंडों के लिए कुछ शर्तें और नियम निर्धारित होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
मंत्री देसाई ने जानकारी दी कि नासुप्र ने फ्रीहोल्ड के संबंध में 12 दिसंबर को प्रस्ताव भेजा है। यह प्रस्ताव हाल ही में प्राप्त हुआ है, इसलिए उसकी गहन जांच की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह का निर्णय केवल एक शहर के लिए नहीं लिया जा सकता, बल्कि उसका प्रभाव राज्य के अन्य शहरों पर भी पड़ेगा।
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इसलिए संबंधित विभागों के अधिकारी, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले विधायक और नगर विकास मंत्री की उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक में इस विषय पर स्वतंत्र नीति तैयार करने की संभावना पर भी चर्चा की जाएगी। विधायक प्रवीण दटके ने यह भी कहा कि नासुप्र का प्रस्ताव अतिरिक्त मुख्य सचिव के माध्यम से जांच कर शासन को भेजा गया है।