नागपुर जेल (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
MSIDC DPR report: जेल के हटने का इंतजार काफी अर्से से किया जा रहा है। नए परिसर की भी खोज की जा रही थी। इन सब बातों पर अब विराम लग गया है। नया जेल चिंचोली में साकार होगा और इसे लगभग 2,400 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। इसे जेल के रूप में कम और ‘रिफॉर्म’(सुधार) सेंटर के रूप में ज्यादा विकसित किया जाएगा।
विश्व स्तर का डिजाइन तैयार किया गया है जहां पर कैदियों के लिए कई सुविधाएं होंगी, ताकि वे वहां पर अपने जीवन को गढ़-मढ़ सकें और एक बेहतर इंसान के रूप में निकले। यह जानकारी महाराष्ट्र इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमएसआईडीसी) के प्रबंध निदेशक बृजेश दीक्षित ने दी।
37,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे एमएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक दीक्षित ने ‘नवभारत’ से चर्चा करते हुए कहा कि नए जेल के लिए चिंचोली में नागपुर सुधार प्रन्यास (एनआईटी) की लगभग 150 एकड़ जमीन है। यह जमीन जेल के लिए आरक्षित कर ली गई है। यही कारण है कि डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भी बना लिया गया है। यह डीपीआर लगभग 2,400 करोड़ रुपये का है। राज्य सरकार के पास इसे मंजूरी के लिए भेजा गया है। कैबिनेट मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
वर्तमान जेल 2,000 कैदियों की है, जबकि नया जेल 4,000 कैदियों के लिए बनाया जाएगा। इन कैदियों के लिए ‘सुधार’ के अवसर के तमाम विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे। जहां कैदियों के फिटनेस की सुविधाएं होंगी वहीं कई प्रकार के ‘हुनर’ सीखने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
हैंडीक्राफ्ट से लेकर हैंडलूम और आर्टिजन का प्रशिक्षण भी ले सकते हैं। जेल को पूरी तरह से ‘ग्रीन बिल्डिंग’ के रूप में विकसित करने की योजना है। पढ़ाई के इच्छुक कैदियों को अत्याधुनिक लाइब्रेरी की सुविधा भी मिलेगी। सरकार यह चाहती है कि कैदी जेल के अंदर पश्चताप करें और कुछ नया सीखकर नए जीवन की शुरुआत कर सके।
जहां पुराना जेल शिफ्ट होगा और नया जेल बनेगा वहीं वर्तमान जेल के शिफ्ट होने के बाद इंटर मॉडल स्टेशन (आईएमएस) के रूप में विकसित करने की योजना पर भी काम शुरू हो गया है। वर्तमान जेल 100 एकड़ में है। इसके साथ ही 50 एकड़ में एफसीआई गोदाम परिसर भी है। दोनों को मिलाकर 150 एकड़ भूखंड में आईएमएस विकसित करने के लिए नए सिरे से डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम भी शुरू हो गया है। दीक्षित ने दावा किया है कि डिजाइन ऐसी बनेगी जिसके ‘एक भी पेड़’ को बाधित नहीं किया जाएगा।
दीक्षित ने कहा कि अभी कई विकल्पों काम चालू हैं। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि भूमिगत मार्केट यानी ‘सिटी सेंटर’ के रूप में इसे विकसित किया जाए। इस प्रोजेक्ट का आना तय है। एमएसआईडीसी इस पर काम भी शुरू कर चुका है।
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उन्होंने बताया कि काछीपुरा में 19 हेक्टेयर जमीन को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) की तर्ज पर विकसित करने के लिए भी कार्य शुरू कर दिए गए हैं। जमीन हासिल करने संबंधित कार्य शुरू हैं। इस बीच प्लानिंग भी शुरू कर दी गई है। इसका भी डीपीआर जल्द तैयार होगा और सरकार के समक्ष पेश कर उस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
दीक्षित ने बताया कि एमएसआईडीसी को राज्य के 34 जिलों में लगभग 6,000 किलोमीटर सड़क को उन्नत बनाने की भी जिम्मेदारी मिली है। इसमें से लगभग 1,700 किलोमीटर सड़क विदर्भ में उन्नत किए जाएंगे। अधिकांश मार्ग सीमेंट (पीक्यूसी) से अपग्रेड किए जाएंगे। फारेस्ट बेल्ट में आने वाले मार्ग ही ‘ब्लैक’ होंगे। यह काफी बड़ा प्रोजेक्ट होगा जो राज्य की लॉजिस्टिक क्षमता को बढ़ाने का काम करेगा।
उन्होंने बताया कि नागपुर सहित विदर्भ में लगभग 45 ढांचागत विकास के प्रोजेक्ट एमएसआईडीसी की ओर से किए जा रहे हैं। ये प्रोजेक्ट अभी अलग-अलग चरणों में हैं। इनकी लागत लगभग 5,500 करोड़ रुपये है। इनके बनने, विकसित होने से विदर्भ का ढांचागत विकास अलग ही स्तर पर आएगा।