नरड़-नाइक साइबर पुलिस की गिरफ्त में। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: बोगस शालार्थ आईडी घोटाले में आरोपी शिक्षण उपसंचालक उल्हास नरड़ और लिपिक सूरज पुंजाराम नाइक एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में हैं। उल्लेखनीय है कि शालार्थ आईडी से संबंधित साइबर पुलिस थाने में दर्ज एक मामले में नरड़ और नाइक की गिरफ्तारी हुई है। इसके साथ ही एक और प्रकरण बाहर आया है, जिसमें बोगस तरीके से शिक्षक पद पर नियुक्ति पाने वाले महेंद्र भाउराव म्हैसेकर (44) को गिरफ्तार किया गया।
महेंद्र टेकानाका के आवलेनगर का रहने वाला है। पुराग पुड़के की तरह ही शिक्षण विभाग के घोटालेबाज अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलकर महेंद्र का भी फर्जी प्रस्ताव तैयार किया था। जांच में महेंद्र का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने महेंद्र और उसके परिवार के कुछ लोगों से पूछताछ की। महेंद्र को गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव की एक स्कूल में नियुक्ति मिली थी। उसके दस्तावेज भी फर्जी थे। अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलकर उसकी नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया।
फर्जी तरीके से शालार्थ आईडी जारी की गई और नियमित वेतन देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। महेंद्र के दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस ने दूसरा प्रकरण दर्ज कर महेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। उसे शुक्रवार को न्यायालय में पेश कर पुलिस हिरासत मांगी जाएगी। शालार्थ आईडी प्रकरण में नाम आने के बाद उल्हास नरड़ ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी, जिसमें नरड़ ने अपना मोबाइल फोन और आईडी हैक होने की जानकारी दी थी।
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मोबाइल हैक करके शालार्थ आईडी जारी होने की सूचना दी गई थी। साइबर पुलिस ने इस संबंध में बीते माह एक मामला दर्ज किया था। जांच में पाया गया कि नरड़ का फोन या सिस्टम हैक नहीं हुआ है। नरड़ और नाइक ने मिलकर शालार्थ आईडी जारी की और इसके बदले उम्मीदवारों से लाखों रुपये लिए। एक-दो नहीं बल्कि 580 आईडी तैयार की गई।
सदर थाने में दर्ज मामले में नरड़ और नाइक न्यायिक हिरासत में जेल पहुंच चुके थे। सच्चाई सामने आने के बाद साइबर पुलिस ने न्यायालय में प्रोडक्शन वारंट के लिए अपील की। मंजूरी मिलते ही गुरुवार को साइबर पुलिस ने दोनों आरोपियों को सेंट्रल जेल से गिरफ्तार कर लिया। अब दोबारा न्यायालय से दोनों की रिमांड कस्टडी मांगी जाएगी।