
निकाय चुनाव (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Polling Alert: नागपुर जिले की 15 नगर परिषद और 12 नगर पंचायतों के नगराध्यक्षों व 546 सदस्यों के लिए मतदान 2 दिसंबर को होने वाला है। मात्र 24 घंटे शेष हैं। इस बार चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों को प्रचार के लिए बहुत ही कम समय मिलने के चलते वोटिंग के पूर्व रात 10 बजे तक अपना प्रचार करने की छूट दी हुई है।
आम समय में वोटिंग के एक दिन पूर्व ही प्रचार तोपें शांत हो जाया करती हैं और इस रात को ‘कत्ल की रात’ कहा जाता है जिसमें वोटर्स को कई तरह के प्रलोभन आदि देकर अपने पक्ष में करने का प्रयास किया जाता है लेकिन इस बर उम्मीदवार वोटिंग शुरू होने के 9 घंटे पूर्व तक अपना खुला प्रचार कर सकते हैं।
बावजूद इसके यह कहा जा रहा है कि रात 10 बजे के बाद भले ही खुले प्रचार की तोपें शांत हो जाएंगी लेकिन गुपचुप तरीके से मतदाताओं के घर जाकर वोट की अपील का कार्य 1 दिसंबर की पूरी रात चलने वाला है। यही वह समय होता है जब वोटर्स को दारू, साड़ियां, नकदी बांटे जाने की शिकायतें शुरू होती हैं।
कई बार तो धमकी-चमकी के मामले भी उजागर होते हैं। हालांकि जिला प्रशासन शांतिपूर्वक व पारदर्शी चुनाव करवाने के लिए पूरी तरह तैयार है लेकिन वोट खरीदने जैसे मामलों पर नजर रखना बेहद कठिन समझा जाता है। पुलिस प्रशासन व चुनाव विभाग के लिए भी यह रात चुनौतीभरी रहने वाली है।
वोटिंग के ठीक 2 दिन पूर्व उम्मीदवारों को प्रचार के लिए संडे ‘सुपर संडे’ की तरह मिल गया। पूरे जिले में जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं वहां सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए पूरा दम लगा दिया। भाजपा से चंद्रशेखर बावनकुले, आशीष देशमुख और शिवसेना शिंदे गट से आशीष जायसवाल, कृपाल तुमाने ने प्रचार की धुरा संभाली।
कांग्रेस के दिग्गज नेता सुनील केदार, सांसद श्याम बर्वे, विधायक संजय मेश्राम ने अनेक सभाएं कीं। सत्ताधारी पार्टियों व विपक्षी दलों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के साथ एक दूसरे को सबक सिखाने या देख लेने तक के शाब्दिक वार-प्रतिवार भी हुए। भाजपा व कांग्रेस की ओर से तो स्टार प्रचारकों की रैलियां निकाली गईं।
कांग्रेस ने एक दिन पूर्व ही कामठी में राज बब्बर को बुलाया था तो भाजपा ने संडे को नवनीत राणा की कन्हान में रैली निकाली। नगर परिषद व नगर पंचायतों के क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों में सभाओं, रैलियों और कॉर्नर मीटिंग्स की गहमागहमी सुबह से रात 11-12 बजे तक चलती रही। सभी ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में आने वाली नप-नपं में अपनी पार्टी की जीत के लिए सारे विधायकों ने पूरा दम लगा दिया। दरअसल उनके लिए यह सबसे चुनौती भरा टास्क है। इसके बाद जिला परिषद के चुनाव होने वाले हैं और नप-नपं की हार-जीत जिला परिषद चुनाव को प्रभावित करेगी।
संडे को राकां व शिवसेना के दोनों गुटों सहित बसपा, आम आदमी पार्टी, गोंगपा, वंचित आघाड़ी, बरिएमं, रिपब्लिकन व सारे निर्दलीय उम्मीदवारों ने सघन प्रचार किया। पार्टी का दुपट्टा गले में डालकर और हाथों में झंडे लेकर कहीं पैदल मार्च तो कहीं बाइक रैलियां निकाली गईं। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सहित राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग कर रही हैं।
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चुनावी अखाड़े में मौजूद उम्मीदवार और उनके कार्यकर्ता विभिन्न ग्रुप बनाकर उन माध्यमों से मतदाताओं के साथ संवाद कर रहे हैं। अब तक क्या काम किया है और चुनकर आने पर क्या करेंगे, इसका विस्तृत विवरण इन ग्रुपों और सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से देकर वोट देने की अपील मतदाताओं से की गई।
वैसे तो चुनाव कराने की पूरी तैयारी चुनाव विभाग सहित जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने कर रखी है। वोटिंग के पूर्व की रात मतदाताओं को नकदी बांटने, दारू वितरण सहित कई तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं। इसे रोकने के लिए प्रशासन सज्ज है।
उसकी हर चुनाव क्षेत्र पर नजर है। वहीं मतदाताओं को हर रात दारू-मटन पार्टी देने का सिलसिला तो बीते करीब सप्ताहभर से ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू है। संडे को भी देर रात तक प्रचार के दौरान अनेक गांवों में इस तरह की पार्टियों की खबर मिली। 1 दिसंबर कत्ल की रात भी यह सब होने की पूरी संभावना है।






