नागपुर में उखड़ी सड़कें (फोटो नवभारत)
Nagpur Municipal Election News : पिछले पौने 4 वर्षों से नागपुर मनपा में प्रशासक राज चल रहा है। इस दौरान शहर में विविध समस्याओं का अंबार लग गया है। आगामी मनपा चुनावों में ये समस्याएं एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरेंगी जिनसे सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता सकता है। वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के लिए इन समस्याओं को ‘भुनाने’ का एक बड़ा अवसर मिलने की संभावना जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रशासक कार्यकाल के दौरान कई पूर्व नगरसेवक जनता से से दूर हो गए, जबकि कुछ ने समस्याएं सुलझाने की कोशिश की लेकिन उन्हें अधिकारियों का सहयोग नहीं मिला।
शहर की प्रमुख समस्याओं में 24 घंटे पानी की आपूर्ति का वादा प्रमुख है जो कई वर्षों से पूरा नहीं हुआ है। आज भी शहर के 71 प्रतिशत हिस्सों को चौबीसों घंटे पानी नहीं मिल पाता है, जबकि पिछले 14 वर्षों में केवल 29 प्रतिशत क्षेत्रों में ही 24 घंटे पानी की सुविधा मिली है। नागरिक अब इस योजना को फर्जी मानते हैं। इस कारण भाजपा नेताओं को चुनाव के दौरान सीधे जनता को जवाब देने में पसीना आ सकता है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी एक कार्यक्रम में आयुक्तों से जलकुंभों के संबंध में सार्वजनिक रूप से सवाल किया था। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सड़कें और आंतरिक बस्तियों में सीमेंट की सड़कें बनाई गई लेकिन सड़क बनने के मुश्किल से एक महीने बाद ही पाइपलाइन डालने के लिए उन्हें खोद दिया जाता है। वर्धा मार्ग पर स्नेहनगर की सड़क इसका एक ज्वलंत उदाहरण है जहां सड़क बनने के तुरंत बाद खुदाई शुरू हो गई। लगातार हो रही खुदाई से नागरिकों को काफी परेशानी हो रही है और दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है।
शहर के कई हिस्सों में सीवेज लाइने जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं जिसके कारण वे बार-बार जाम हो जाती हैं और गंदा पानी कभी सड़कों पर तो कभी सीधे नागरिकों के घरों में वापस आ जाता है। यह समस्या पूरे साल बनी रहती है जिससे शहरवासी परेशान हैं। मनपा में सबसे अधिक शिकायतें सीवेज लाइनों को लेकर ही हैं। नागरिक शिकायतें कर-करके थक चुके हैं और कर्मचारियों द्वारा किए गए अस्थायी समाधान कुछ दिनों बाद फिर से समस्या पैदा कर देते हैं।
बारिश के मौसम में ड्रेनेज लाइन का अभाव भी एक गंभीर मुद्दा है। सीमेंट की सड़के ऊंची बनने और ड्रेनेज लाइनों के न होने के कारण, बारिश का पानी सीधे नागरिकों के घरों में घुस जाता है जिससे हर साल लाखों रुपए का नुकसान होता है। मुख्य भागों पर भी ड्रेनेज लाइनों की सफाई न होने से सड़कों पर पानी भर जाता है।
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सड़कों के चौड़े होने के बावजूद अतिक्रमण के कारण वे संकरी हो गई हैं जिससे यातायात जाम होता है। अवैध विक्रेताओं ने फुटपाथों पर कब्जा कर लिया है जिससे नागरिकों को पैदल चलने के लिए सड़क का उपयोग करना पड़ता है। इसके अलावा रामदासपेठ, धंतोली, गांधीबाग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में पार्किंग की सुविधाओं का अभाव है। वाहन चालक अपनी गाड़ियां नागरिकों के घरों के सामने खड़ी करते हैं जिससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और दुर्घटना के खतरे का सामना करना पड़ता है।
नागपुर शहर के 150 से अधिक उद्यानों में से कई की हालत खराब है। दत्तात्रेय नगर उद्यान इसका एक उदाहरण है। उद्यानों में सुरक्षा गार्डों की कमी के कारण रात में शराब पार्टियां होती हैं जिससे बस्ती के निवासियों का जीवन कठिन हो गया है। बच्चों के खेल के उपकरण टूटे हुए हैं और बुजुर्गों के लिए बैठने के लिए बेंच उपलब्ध नहीं है। बस्ती के बच्चों को खेलने के लिए मैदान भी नहीं मिल रहे हैं क्योंकि बड़े मैदानों को प्रदर्शनी भरने के लिए बंद कर दिया गया है।
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी अभी पूरी तरह से सुचारु नहीं है क्योंकि ‘आपली बस’ कई क्षेत्रों तक नहीं पहुंचती है और ई-रिक्शा यातायात जाम में वृद्धि करते हैं। सांस्कृतिक सभागृहों का अभाव, बिजली चोरी और फ्लाईओवरों का वर्षों से चल रहा काम भी चनाव में प्रभावी मुद्दे रहेंगे।