कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: डेंगू और चिकनगुनिया के लगातार बढ़ते प्रकोप का मसला याचिकाकर्ता तेजल आग्रे की ओर से हाई कोर्ट में उठाया गया। बुधवार को सुनवाई के दौरान पैरवी कर रहीं अधिवक्ता तेजल आग्रे ने हाई कोर्ट के समक्ष कुछ फोटो प्रस्तुत किए जिसमें कई इलाकों में सड़कों के किनारे गंदगी और कचरे के ढेर लगे होने का मामला उजागर हुआ। फोटो से उजागर हो रही स्थिति पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने आदेश में कहा कि वास्तविकता यह है कि शहरवासियों को इस समय कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
आलम यह है कि न केवल हर घर में बल्कि अस्पताल भी मरीजों से भरे हुए हैं। जो डेंगू, चिकनगुनिया या फिर ऐसे अन्य वायरल संक्रमण से पीडित हैं। इस पर नियंत्रण के लिए क्या किया जा रहा है, इसका जवाब दायर करने के आदेश मनपा आयुक्त को दिए। याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं अधिवक्ता तेजल आग्रे और मनपा की ओर से अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने पैरवी की।
यह भी पढ़ें:– नागपुर में पत्नी को गाली दी तो छोटे ने बड़े भाई को उतारा मौत के घाट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा
कोर्ट ने आदेश में कहा कि कई सड़कों के किनारे मलबा पड़ा हुआ है। जिन सड़कों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है, ऐसी सड़कों के किनारे से मलबे को हटाने के मामले में क्या कदम उठाए गए, उन कदमों के संदर्भ में तथा उन पर नियंत्रण को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी के साथ हलफनामा दायर करने के आदेश पीडब्ल्यूडी को दिए।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता तेजल आग्रे ने इन बीमारियों को लेकर मनपा के ही आंकड़ों को उजागर करते हुए कहा कि अब डेंगू और चिकनगुनिया के हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि बीमार को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं। आग्रे ने कहा कि डेंगू और चिकनगुनिया की वास्तविकता उजागर करने के लिए जोनल कार्यालय के अधिकारियों से भी हलफनामा मांगे जाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
यह भी पढ़ें:– महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पुराने नेताओं पर दांव लगाएगी बीजेपी, RSS ने शीर्ष नेताओं को दी सलाह
बुधवार को सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया। हलफनामा में बताया गया कि सिटी के 10 जोन में सफाई के लिए कुल 5,164 कर्मचारी उपलब्ध हैं। इन कर्मचारियों के अलावा निजी एजेंसी अर्थात मेसर्स एजी एन्वायरो इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रा. लि. और मेसर्स बीवीजी इंडिया लि. नामक कम्पनी द्वारा घरों से कचरा संकलन किया जाता है। दोनों कम्पनियों को घरों से कचरा संकलन कर परिवहन के लिए 5-5 जोन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अदालत ने दोनों विभागों को 9 सितंबर तक जवाब दायर करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता का मानना था कि बुजुर्गों के अलावा डेंगू और चिकनगुनिया से सर्वाधिक स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करके डेंगू के संक्रमण को कम करना, बच्चों में डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए मनपा और स्कूल प्रबंधनों को निर्देश दिया जाना चाहिए।
हलफनामा में बताया गया कि कानूनी अधिकारियों, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और बड़े पैमाने पर सामाजिक संगठनों को जोड़कर डेंगू के प्रकोप को कम करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।