(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Nagpur City News: नागपुर के कांट्रेक्टर मुन्ना वर्मा की आत्महत्या के मामले में सनसनीखेज जानकारी सामने आ रही है। बताया जाता है कि वर्मा ने विभिन्न सरकारी विभागों का काम किया था। इस काम से 30 से 40 करोड़ रुपये सरकार के पास बकाया था। उन्होंने काम करने के लिए बाजार से भी कर्ज ले रखा था। यह कर्ज नहीं लौटा पाने के कारण वर्मा तनाव में थे। वर्मा की पत्नी, बेटा और बेटी हैदराबाद में रहते हैं। कभी वे नागपुर आकर रहते हैं तो कभी वर्मा उनके साथ रहने हैदराबाद जाते थे।
यह घटना तब सामने आई जब सोमवार की सुबह वर्मा के मित्र उनके घर पहुंचे। कई बार दरवाजे पर दस्तक देने के बाद भी जवाब नहीं मिला। उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड से बात की। गार्ड ने भी काफी देर तक आवाज लगाई। प्रतिसाद नहीं मिलने पर संदेह होने लगा। रोजाना घर पर काम करने वाली नौकरानी को लॉक की चाबी दी गई थी। गार्ड ने नौकरानी से संपर्क किया और ताला खोला गया।
भीतर जाने पर वर्मा फंदे पर लटके दिखाई दिए। तत्काल पुलिस को जानकारी दी गई और सदर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए मेयो अस्पताल भेज दिया। पूरे घर की तलाशी ली गई लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। पुलिस ने परिजनों से संपर्क कर घटना की जानकारी दी। शाम तक उनका परिवार नागपुर नहीं पहुंचा था।
सदर के इंस्पेक्टर अमोल देशमुख ने बताया कि फिलहाल आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया गया है। परिजनों के बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं लेकिन उनके दोस्त और करीबी लोगों से पूछताछ करने पर कर्ज का तनाव होने का पता चला है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का दावा है कि वर्मा ने वर्धा में खुद के नाम पर ठेका लिया था।
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इसके अलावा चंद्रपुर, देवरी और नागपुर में भी उनके काम चल रहे थे। चंद्रपुर में एक और जयताला रोड पर उन्होंने हॉट मिक्स प्लांट शुरू किया था। इसके लिए कुछ लोगों से पार्टनरशिप करके पैसा निवेश करवाया था और कुछ लोगों से कर्ज भी लिया था।
नागपुर कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध सरोदे ने बताया कि केवल वर्मा ही नहीं अन्य ठेकेदारों पर भी आत्महत्या करने की नौबत आ गई है। जिस तरह पहले किसान आत्महत्या कर रहे थे उसी तरह कांट्रेक्टर भी इस कगार पर पहुंच चुके हैं। वर्मा 3 दशक से ज्यादा समय से ठेकेदारी कर रहे थे लेकिन इतनी बुरी अवस्था कभी नहीं थी।
सांगली में एक कांट्रेक्टर भाई ने इसी तरह आत्महत्या की। पहले तो केवल छोटे कांट्रेक्टर परेशान थे लेकिन अब सरकार पर हजारों करोड़ रुपये का पेमेंट बकाया है। सरकार जल्द से जल्द ठेकेदारों का पेमेंट करे। इसके बाद ही आगे काम आवंटित किए जाने चाहिए। ठेकेदारों ने काम के लिए भारी मात्रा में मशीनरी ली है। इसका पैसा तो उन्हें चुकाना ही है लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई है। यह समस्या हल नहीं हुई तो आगे इस तरह की और भी घटनाएं सामने आएंगी।