
BSNL (सौ. Design)
BSNL Land Deal In Nagpur: केंद्र सरकार की सरकारी जमीन बेचने की ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (एनएलएमसी) योजना शुरू की है। इस योजना के तहत नागपुर में भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की लगभग 783 करोड़ की संपत्ति की भी पहचान की गई है।
3 भूखंडों को बेचने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सरकार को 783.3 करोड़ रुपये की मिले की उम्मीद है। यह भी सच्चाई है कि सरकार ने इन भूखंडों को काफी पहले विक्री सूची में डाला था, लेकिन इसके लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। बीएसएनएल के सभी भूखंड प्राइम एरिया में हैं।
सीटीओ में 17,424 वर्गमीटर भूखंड जानकारी के अनुसार सिविल लाइंस स्थित सीटीओ कार्यालय के 17,424 वर्गमीटर जमीन बेचने की योजना है। यह भूखंड सिटी के प्राइम एरिया में स्थित है और इसके लिए सरकार ने 462.35 करोड़ रुपये मूल्य तय किया है।
जानकारों का कहना है कि भले ही यह भूखंड प्राइम एरिया में है लेकिन जो कीमत तय की गई है वह काफी ज्यादा है। यही कारण है कि 2 वर्ष से बोली लगाई जा रही है लेकिन कोई भी इसे लेने के इच्छुक नहीं है। जगह को देखकर कई बिल्डर इस भूमि पर नजर गढ़ाये हुए हैं। परंतु किसी ने अब तक लेने की हिम्मत नहीं दिखाई है।
भारतीय संचार निगम लि (बीएसएनएल) की कोराडी में भी प्राइम लोकेशन पर जगह है। यहां पर भी बीएनएनएल के 56216.88 वर्गमीटर जमीन बेचने के लिए बोली बुलाई गई है। इस जमीन के लिए आरक्षित मूल्य 298.27 करोड़ रुपये तय किया गया है।
बोली निकाले हुए काफी वक्त हो गया है, लेकिन यहां पर भी कोई लेवाल नहीं मिल रहा है। निजी बिल्डरों के आंकलन के अनुसार यह दर भी काफी ज्यादा है। भले ही भूखंड प्राइम हो, लेकिन कीमत अधिक होने से लोग हाथ लगाने से कतरा रहे हैं।
विभाग के पास काटील में भी बड़े पैमाने पर जमीन उपलब्ध है, काटील परिसर में भी विभाग के 10.100 वर्गमीटर जमीन बेचने के लिए बोली लगाई गई है।
इस जमीन की कीमत 22.68 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है लेकिन यहां पर भी बोली नहीं मिल रही है, इसलिए यह बिक्री सूची’ में बनी हुई है। इस जमीन की कीमत को लेकर भी स्थानीय लोगों का आंकलन है कि काफी ऊंची कीमत है। यही कारण है लोग ‘टेंडर में भाग नहीं ले रहे हैं।
सरकार यह चाहती है कि इन जमीनों को बिक्री कर अतिरिक्त धन अर्जित करना है। सरकार को अतिरिक्त आय होगी वहीं सरकारी कंपनियों के घाटे को भी कम किया जा सकता है। बीएसएनएल ने अतिरिक्त जमीन लीज या बेचकर अपने नुकसान को कम करने में काफी सफलता हासिल करना है। पिछले कुछ समय में सरकारी कंपनियों का घाटा इसके के कारण कम भी हुआ है।
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जानकारों की माने तो कीमत अधिक नहीं है। रेडी रेकनर की दर से ही कीमत लगाई गई है लेकिन यहां पर सवाल यह है कि सौदे के लिए लोगों को नंबर एक में पैसा देना होगा। यह अधिकांश बिल्डरों को रास नहीं आ रहा है। जमीन ‘प्राइम’ होने के बाद भी बिक नहीं पा रही है। सरकार को काफी इंतजार करना पड़ रहा है।
-नागपुर से नवभारत लाइव के लिए नीरज नंदन की रिपोर्ट






