एम्स परिसर में गंदगी (सौजन्य-नवभारत)
Bio Waste Management Neglect: अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट को ठिकाने लगाने के लिए गाइडलाइंस बनाई गई हैं। इसकी मुख्य वजह; यह कचरा स्वास्थ्य के लिए घातक होता है लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विजान संस्थान (एम्स) में पार्किंग के पास घास में मास्क पाये गये। इसके अलावा परिसर में अन्य जगह पर मास्क पड़े देखे जा सकते हैं। प्रशासनिक लापरवाही की वजह से आने-जाने वालों के लिए ये खतरा बन गए हैं।
एम्स में अच्छी सुविधाओं की वजह से मरीजों की भीड़ बढ़ी है। अब मध्य भारत से मरीज आने लगे हैं। भीतर गुटका, तंबाकू लेकर जाने की सख्त मनाही है। साथ ही कचरा उचित स्थान पर फेंकने के सख्त निर्देश हैं। इसके बाद भी अस्पताल के पिछले हिस्से में कर्मचारियों की पार्किंग के पास मास्क पड़े दिखाई दिये। मास्क का ढेर लगा हुआ है। यहां से अक्सर आना-जाना लगा रहता है। मास्क से संक्रमण फैलता है। मास्क भी बायोमेडिकल वेस्ट में आता है। इन मास्क को ठिकाने लगाने की बजाय इस तरह फेंकना घातक हो सकता है।
इन दिनों एम्स परिसर में चारों तरफ घास बढ़ गई है। पिछले हिस्से में घास इतनी उंची हो गई है कि कोई व्यक्ति खड़ा हो तो नजर नहीं आता। बारिश के दिनों में परिसर में अनेक सांप निकले। इससे छात्रों सहित डॉक्टरों में भी भय का माहौल है। परिसर के चारों ओर सुरक्षा दीवार तो बनाई गई है लेकिन कुछ भाग छूटा हुआ है।
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आईआईएम और एम्स की दीवार के बीच में भी खुला भाग होने से मवेशी भीतर आते हैं। यही वजह है कि परिसर में कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। कुछ दिनों पहले हॉस्टल के पिछले खुले हिस्से में तेंदुआ भी देखा गया था। रात के वक्त डॉक्टरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पंजीयन काउंटर के पास ही शौचालय बना है। वहीं शौचालय के पास ही वॉटर कूलर लगाया गया है। शौचालय की बदबू के बीच मरीजों व उनके परिजनों को पानी पीना पड़ता है। परिजनों का कहना है कि वॉटर कूलर अलग जगह लगाया जाना चाहिए ताकि शौचालय की बदबू के बीच पानी पीने की नौबत न आये।