अवैध साहूकारों की दरिंदगी कब तक? (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आजादी के 78 वर्ष बाद भी देश का किसान आजाद नहीं हो पाया।इन किसानों की किस्मत बेरहम साहूकारों की जंजीरों में जकड़ी हुई है जो उनकी जमीन पर गिद्ध दृष्टि रखते हैं।ऐसे ही एक नरपिशाच साहूकार ने चंद्रपुर जिले की नागभीड़ तहसील के मिंथुर गांव में किसान रोशन कुंडे को 1 लाख रुपए कर्ज दिया था जिस पर प्रतिदिन 10,000 रुपए का मनमाना ब्याज लगाया।इस तरह मूल व ब्याज मिलाकर कर्ज 74 लाख रुपए हो गया।इसे चुकाने के लिए दबाव बढ़ने पर किसान ने अपना 2 एकड़ खेत, ट्रैक्टर और 2 बाइक बेच दी परंतु कर्ज फिर भी बढ़ता गया।फिर साहूकार के कहने पर किसान ने कंबोडिया जाकर अपनी किडनी बेच दी।
इतना ही नहीं, साहूकार और उसके साथियों ने किसान को बंधक बनाकर रखा और गालीगलौज कर मारपीट की जिससे उसे गंभीर चोटें आईं।बुरी तरह डरे किसान ने पुलिस द्वारा आश्वस्त करने पर पूरे मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई।साहूकार व उसके सहयोगी गिरफ्तार कर लिए गए किंतु क्या उन्हें कुकृत्य की सजा मिल पाएगी? इस तरह के साहूकारों का उनके क्षेत्र में बड़ा आतंक रहता है।लोग उनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।किसानों की दुर्दशा और अमानवीय शोषण पर उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने अनेक कहानियां लिखी हैं जिनमें से ‘गोदान’ पर तो फिल्म भी बनी थी।
बिमल रॉय ने ‘दो बीघा जमीन’ नामक फिल्म बनाई थी जिसमें अपनी जमीन को बचाने के लिए गरीब किसान (बलराज साहनी) कोलकाता की सड़कों पर हाथ रिक्शा खींचता है लेकिन कारखाना मालिक उस जमीन को हड़प लेता है।महबूब खान निर्मित फिल्म ‘मदर इंडिया’ में साहुकार सुक्खीलाला (कन्हैयालाल) का अत्याचार दिखाया गया था।साहित्य हो या फिल्में सभी में ग्रामीणों व किसानों के शोषण को दिखाया गया।पहले किसान अनपढ़ थे जिनसे कहीं भी अंगूठा लगवा लिया जाता था।अब पढ़ने-लिखने के बाद भी किसान की हालत नहीं बदली।
बैंक बड़े उद्योगपतियों को आसानी से करोड़ों रुपए कर्ज देते हैं जो इस रकम को डुबो देते हैं लेकिन गरीब किसान को कर्ज नहीं देते।इस वजह से किसान जुल्मी और लोलुप साहूकारों के चंगुल में फंस जाता है।शेक्सपीयर ने अपनी कृति ‘मर्चेंट आफ वेनिस’ में शायलॉक नामक साहूकार का वर्णन किया था जो कर्जदार के शरीर का मांस निकाल लेता था।अब किसान की किडनी बिकवा कर रकम हड़प करनेवाले दरिंदे साहुकार मौजूद हैं।
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पता नहीं शोषण का यह चक्र कब तक चलेगा? क्या सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर किसानों को राहत देंगे? ग्रामीण के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी ऐसे अवैध साहूकार मौजूद है।जो मनमाना ब्याज लगाकर अपने शिकार का सर्वस्व छीन कर उसे भिखारी बना देते हैं।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा