36 वर्षीय महिला हुई 21 बार गर्भवती (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Melghat Malnutrition: विधान परिषद में विपक्ष की सदस्य उमा खापरे, प्रवीण दरेकर, प्रसाद लाड आदि ने राज्य के दुर्गम मेलघाट क्षेत्र में बीते पाँच महीनों में शून्य से छह महीने के 65 बच्चों की कुपोषण से हुई मौतों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने भी इस प्रकरण में सरकार की कड़ी आलोचना की है और संबंधित विभागों के प्रधान सचिवों को तलब किया है। यह मुद्दा ‘आधे घंटे की चर्चा’ के दौरान उठाया गया। दरेकर ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में 14 वर्षीय बच्ची की शादी की घटना सामने आई और उसका बच्चा कुपोषण का शिकार हुआ।
राज्यमंत्री मेघना बोर्डेकर ने कहा कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मौत का कारण केवल कुपोषण नहीं बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। मेलघाट आदिवासी क्षेत्र में अंधविश्वास बड़ी समस्या है, जहाँ यह मामला सामने आया कि एक 36 वर्षीय महिला 21 बार गर्भवती रही। उन्होंने दुर्गम इलाकों में जागरूकता अभियान की आवश्यकता बताई। बोर्डेकर ने बताया कि कुल 78 बच्चों की मृत्यु हुई, जिसमें से 49 मेलघाट और 29 अन्य क्षेत्रों के हैं। इन मौतों का कारण केवल कुपोषण नहीं, बल्कि बेहद कम वजन जैसे कई अन्य स्वास्थ्य कारण भी रहे।
सदस्यों ने कहा कि मेलघाट सहित राज्य के अन्य हिस्सों में कुपोषण, मातृ एवं बाल मृत्यु, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और बुनियादी सुविधाओं की दयनीय स्थिति चिंताजनक है। उनका आरोप था कि सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के कारण कोई ठोस सुधार नहीं हो रहा। मेलघाट के अस्पतालों, प्रसूति केंद्रों और शौचालयों की स्थिति अत्यंत खराब बताई गई।
उन्होंने कहा कि योजनाओं के लिए मिलने वाले अनुदान में भी भ्रष्टाचार होता है, और आश्रमशाला के छात्रों को उचित भोजन की जगह कच्चा चावल दिया जाता है। अभी भी मेलघाट में बाल मृत्यु, मातृ मृत्यु और गर्भस्थ शिशु मृत्यु की घटनाएँ जारी हैं। कई बार समितियाँ बनीं, रिपोर्टें आईं, लेकिन उनकी सिफ़ारिशों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ। गर्भवती महिलाओं को प्रति लाभार्थी मात्र 45 रुपये का आहार दिया जाता है, जिसे बढ़ाने की माँग की गई।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अदिति तटकरे ने सदन में घोषणा की कि आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण और बाल मृत्यु रोकने के लिए महिला एवं बाल कल्याण, स्वास्थ्य तथा आदिवासी विकास-इन तीनों विभागों की संयुक्त समन्वय समिति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि “कुपोषण से एक भी बालक की मृत्यु न हो”, इसके लिए सरकार प्राथमिकता के साथ काम कर रही है।
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उन्होंने बताया कि राज्य में तीव्र कुपोषित बच्चों की संख्या 2019–20 के 246 से घटकर 2025–26 में 97 रह गई है। 2024 में तीव्र कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 0.79 था, जो 2025 में घटकर 0.41 प्रतिशत हो गया है। मुख्यमंत्री के 100 दिन के कार्यक्रम में भी कुपोषण-मुक्ति को विशेष प्राथमिकता दी गई है। राज्यमंत्री बोर्डेकर ने बताया कि 42,602 गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाल मृत्यु के लिए केवल कुपोषण ही नहीं, बल्कि कई अन्य चिकित्सीय कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।