भाजपा के विदर्भ स्तरीय कार्यशाला में मौजूद कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण व अन्य नेता (सोर्स: एक्स@RaviDadaChavan)
नागपुर: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनाव अक्टूबर महीने तक होने के संकेत मिल रहे हैं। सभी स्तर पर प्रक्रियाएं शुरू हो गई हैं। सभी पार्टियां भी चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं। नागपुर की बात करें तो प्रशासक राज के पूर्व मनपा में 15 वर्षों तक भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्तासीन रह चुकी। लगातार सत्ता में रहने के चलते स्वाभाविक रूप से एंटी इनकम्बेंसी का खतरा सत्तासीन पार्टी को रहता है।
बीते 3 वर्षों से प्रशासक राज होने के चलते नगरसेवकों को जनता से संपर्क टूट से गए हैं। भाजपा को यह चिंता सता रही है कि 3 वर्षों से नगरसेवकों का नहीं होना जनता से दूरी बढ़ा चुका है।
विपक्ष भाजपा के शासनकाल की कमियों की सूची बनाकर आक्रामक रूप से जनता के बीच जाने की तैयारी में है जिसमें सीमेंटीकरण के दुष्परिणाम, जलापूर्ति, गंदगी, भ्रष्टाचार आदि मुख्य विषय रहने वाला है। इन सबसे निपटने के लिए बीजेपी रणनीति बना रही है।
मंगलवार को हुए भाजपा के विदर्भ स्तरीय सम्मेलन में इसकी चिंता देखने को मिली जहां नेताओं ने एंटी इनकम्बेंसी को कम करने के लिए छोटे-छोटे अवसरों पर भी जनसंपर्क बढ़ाने पर जोर दिया।
सम्मेलन में मार्गदर्शन करते हुए नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि एंटी इनकम्बेंसी को कम करना है तो लोगों से छोटे-छोटे अवसरों पर भी मेल-मुलाकात बढ़ानी होगी। जो भी त्योहार, दिवस, उत्सव आएं उनके निमित्त अपने-अपने एरिया में विविध कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जोड़ने की सलाह मंडल अध्यक्षों को दी है।
बीजेपी नेताओं का मानना है कि चुनाव में अचानक सीधे प्रचार में उतरेंगे तो लाभ नहीं मिल पाएगा। अक्टूबर तक अनेक त्योहार हैं, उनका लाभ उठाने के लिए बीजेपी रणनीति तैयार कर रही है। वहीं बारिश के दौरान लोगों को जलजमाव, स्वच्छता, बिजली आदि की अधिक परेशानी होती है। उनकी समस्याओं का निदान करने के लिए अधिकारियों के माध्यम से मदद करने की सलाह भी दी गई, ताकि जनता साथ जुड़ें व चुनाव में लाभ मिल पाए।
दूसरी समविचारी पार्टियों के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों चर्चा कर उन्हें बीजेपी से जोड़ने के साथ ही बूथ लेवल पर वोटों का सूक्ष्म नियोजन पर ध्यान देने का कार्य अब तेज किया जाएगा। नेताओं ने कहा कि उचित नियोजन किया गया तो केवल नागपुर ही नहीं बल्कि पूरे विदर्भ में स्थानीय निकाय संस्थाओं में भाजपा का भगवा लहराया जा सकेगा।
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भाजपा वोटर्स परिवार की सूची तैयार कर उस परिवार के बाहरगांव में नौकरी आदि करने गए सदस्यों जिनका यहां की वोटर लिस्ट में नाम है, उन्हें भी मतदान के लिए लाना सुनिश्चित करने तक की प्लानिंग बीजेपी कर रही है। विधानसभा चुनाव में सोलापुर में यह प्रयोग किया गया था जहां के 2.5 लाख वोटर्स पुणे-मुंबई में नौकरी करते हैं लेकिन वहां इस प्रयोग में 10 फीसदी ही सफलता मिल पायी थी।