
बिजली बिल विवाद (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra News: महाराष्ट्र की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले उद्योगों और आम उपभोक्ताओं पर बिजली बिलों का ‘करंट’ लगातार तेज होता जा रहा है। बिजली दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी सौर ऊर्जा के लाभों में कटौती और न्यायालय के आदेश की कथित अनदेखी को लेकर महाराष्ट्र के प्रमुख औद्योगिक संगठनों और उपभोक्ता प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त प्रेस- कॉन्फ्रेंस कर सरकार और महावितरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
आरबी गोयनका, साकेत सूरी और सुधीर बुधे ने बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट (3 नवंबर 2025) और सुप्रीम कोर्ट (17 नवंबर 2025) ने साफ तौर पर एमईआरसी के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें बिना जनसुनवाई के बिजली दरें बढ़ाई गई थीं। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दरों में किसी भी बदलाव से पहले जनता की राय लेना अनिवार्य है। इसके बावजूद महावितरण ने रद्द किए जा चुके आदेश के आधार पर उपभोक्ताओं को भारी-भरकम बिल भेजे हैं जिसे वक्ताओं ने ‘पूरी तरह गैर-कानूनी’ करार दिया।
महाराष्ट्र में सौर ऊर्जा अपनाने वाले उपभोक्ताओं को अब दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले सौर ऊर्जा का लाभ 24 में से 20 घंटे मिलता था जिसे घटाकर केवल 8 घंटे कर दिया गया है।
महावितरण अब उस बिजली पर भी ‘ग्रिड सपोर्ट चार्ज’ लगाने का प्रस्ताव दे रही है जिसे उपभोक्ता अपने परिसर में खुद पैदा कर खुद ही इस्तेमाल करता है। इसे देश में एक ‘अभूतपूर्व और अनुचित’ कदम बताया जा रहा है जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को बर्बाद कर सकता है।
महाराष्ट्र में बिजली की दरें पहले से ही देश में सबसे ज्यादा हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि यदि बिजली दरें इसी तरह बढ़ती रहीं तो राज्य के बड़े उद्योग पड़ोसी राज्यों (जैसे छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश) में स्थानांतरित हो जाएंगे। इससे न केवल राजस्व की हानि होगी बल्कि राज्य में बेरोजगारी का एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
महावितरण अब उपभोक्ताओं से अतिरिक्त 11,700 करोड़ रुपये वसूलने की तैयारी में है। इसके खिलाफ एमईआरसी ने अब जनसुनवाई का कार्यक्रम घोषित किया है।
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सभी उपभोक्ता, संगठन और व्यापारी 27 दिसंबर तक अपनी शिकायतें, सुझाव suggestions@merc.gov.in पर भेजें, ताकि अमरावती 3 जनवरी, नागपुर 5 जनवरी, मुंबई 6 जनवरी, नासिक 7 जनवरी और छत्रपति संभाजीनगर 8 जनवरी की सुनवाई में प्रभावी तरीके से विरोध किया जा सके।
प्रेस-कॉन्फ्रेंस में आरबी गोयनका, साकेत सूरी और सुधीर बुद्धे ने गंभीर आरोप लगाया कि एमईआरसी में पिछले कई वर्षों से उपभोक्ता और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के पद खाली पड़े हैं। इससे महावितरण का नियामक फैसलों पर अनुचित प्रभाव बढ़ गया है जिससे आम जनता का भरोसा टूट रहा है।
इस अवसर पर विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशांत मोहता, नाग विदर्भ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष फारूक अकबानी, नागपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के कैलाश जोगानी, एसोसिएशन फॉर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के विजय शर्मा सहित हिंगना एमआईडीसी, बूटीबोरी, कलमेश्वर और अक्षय ऊर्जा संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।






