नागपुर. बीते वर्ष मानसून जरूर देरी से आया था लेकिन भारी बारिश हुई थी और जिले सहित विदर्भ के सभी डेम लबालब हो गए थे लेकिन इस वर्ष जुलाई आधी बीत गई है और मूसलाधार बारिश नहीं हुई है जिसके चलते नागपुर संभाग के सिंचाई प्रकल्पों में बीते वर्ष की तुलना में पानी का स्टॉक कम हो पाया है. मध्य प्रदेश में अच्छी बारिश होने के कारण सिटी को पानी देने वाले तोतलाडोह में 69 फीसदी और कामठी खैरी प्रकल्प में 68 फीसदी पानी का स्टॉक हुआ है. पिछले वर्ष 18 जुलाई को तोतलाडोह में 79 फीसदी पानी का स्टॉक हो गया था जो इस वर्ष 10 फीसदी कम है. अगर आने वाले समय में दमदार बारिश नहीं हुई तो इस वर्ष गर्मी में पानी की किल्लत भी हो सकती है. प्रकल्पों को भी दमदार बारिश का इंतजार है.
वेणा नदी पर वड़गांव डेम में केवल 37 फीसदी पानी का स्टॉक है जो बीते वर्ष इसी तारीख को 70 फीसदी था. खिंडसी में 66, नांद में 40 प्रतिशत ही पानी भर पाया है. गोंदिया जिले की बात करें तो वहां इटियाडोह में 58 और पुजारी टोला डेम में केवल 33 फीसदी पानी जमा हुआ है. चंद्रपुर का ईरई भी 32 फीसदी ही भरा है. वर्धा जिले में बोर व लोवर वर्धा-1 दोनों ही प्रकल्पों में जलस्तर क्षमता से काफी नीचे हैं. पूर्व विदर्भ में केवल गड़चिरोली जिले के दिना प्रकल्प व चंद्रपुर का असोलामेंढा प्रकल्प ही फिलहाल ओवरफ्लो होने की जानकारी प्रशासन द्वारा दी गई है.
विदर्भ में सिंचाई की दृष्टि से महत्वपूर्ण गोसीखुर्द प्रकल्प में क्षमता का 35 फीसदी ही स्टॉक है. 18 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार डेम में 262 दलघमी पानी है. किसानों को सिंचाई के लिए यहां से पानी दिया जाता है. फिलहाल डेम के 21 दरवाजों से प्रति सेकंड 2256 घनमीटर पानी छोड़ा जा रहा है. अगर दमदार बारिश इस क्षेत्र में नहीं हुई तो स्टॉक और कम होता जाएगा और आगामी वर्ष में किसानों की चिंता बढ़ेगी.