फिक्स डिपॉजिट से मनपा का भरा खजाना। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: मुख्यमंत्री के गृह नगर को विभिन्न प्रकल्पों के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में महानगर पालिका को 1400 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ, किंतु प्रकल्प में कई कारणों से देरी हो गई। इसके चलते नागपुर मनपा 700 करोड़ रुपए खर्च नही कर पाई, जो बैंकों में जमा रहा। इसे देखते हुए महानगर पालिका ने बिना समय गंवाए इस राशि को फिक्स डिपॉजिट के रूप में निवेश कर लिया। परिणामस्वरूप मनपा की तिजोरी में 50 करोड़ का ब्याज जमा हो गया। वित्तीय संकट से जूझ रही महानगर पालिका को इससे कुछ राहत मिल सकती है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में मनपा को इंटेलिजेंट इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईआईटीएमएस) के लिए 200 करोड़ रुपये, सीमेंट कंक्रीट (सीसी) सड़कों के लिए 300 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 137 करोड़ रुपये मिले थे। राशि खर्च नहीं हो सकी, इसलिए मनपा प्रशासन ने अधिक रिटर्न पाने के लिए इस राशि को एफडी में निवेश कर दिया। इस निर्णय से महानगर पालिका को पहले के 2-2.5 प्रतिशत की तुलना में लगभग 7-7.5 प्रतिशत की ब्याज दर प्राप्त हुई।
वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार ने अपेक्षित अनुदान का 75 प्रतिशत रोक लिया है। इस प्रकार मनपा के पास 350 करोड़ रुपये बचे रह गए। बताया जाता है कि लाडली बहन योजना जैसी योजनाओं के कारण ही इस तरह की कटौती हुई।
निधि का प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद राज्य सरकार की ओर से मनपा को प्रकल्प खर्च के लिए 20 से 50 प्रतिशत तक पहले ही निधि प्राप्त होती रही है, किंतु गत वर्ष में कई प्रकल्पों के लिए 10 प्रतिशत तक निधि कम की गई। ऐसी स्थिति में भारी मात्रा में विकास कार्य करने के लिए मनपा पर वित्तीय संकट आ गया। निधि वितरण में भले ही विलंब हुआ हो, लेकिन एफडी के रूप में रखी निधि अंततः अतिरिक्त विकास प्रकल्पों के लिए उपयोग में लाने का विकल्प होने से कुछ राहत है।
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मनपा को ब्याज और अतिरिक्त राशि के माध्यम से 50 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। सूत्रों के अनुसार वित्तीय संकट से जूझ रही मनपा को पेंशन धारकों के बकाये का वितरण करने के लिए 50 करोड़ रुपये की सहायता मिल सकती है। पेंशनर्स का 22 महीने का करीब 80 करोड़ रुपये बकाया है। मनपा की ओर से 4 किस्तें पहले ही दी जा चुकी हैं। शेष राशि का भुगतान इसी से किया जा सकता है।