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नागपुर. सूरजगढ़ में अवैध उत्खनन का मामला हाल ही में हुए शीत सत्र के दौरान विधानसभा में भी जमकर गरमाया रहा. अब इसी मुद्दे को लेकर प्रकृति फाउंडेशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई जिसमें राज्य सरकार के साथ हुए समझौते का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए प्रशासन को आदेश जारी करने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने संबंधित प्राधिकरण के पास सर्वप्रथम इस मामले को नहीं उठाए जाने का हवाला देते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार के माध्यम से जिओलॉजी एंड माइनिंग संचालक और कम्पनी के बीच उत्खनन को लेकर समझौता हुआ था. इसी समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर उद्योगों को लोह खनिज की बिक्री की जा रही है.
याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि समझौते की शर्तों के अनुसार जो भी अतिरिक्त उत्खनन हो रहा है उसे सर्वप्रथम विदर्भ के उद्योगों को देना है. वह भी वाजिब दामों पर लोह खनिज उपलब्ध कराना है. अत: उत्खनन के लिए आवंटित की गई लीज के अनुसार लोह खनिज के बिक्री पर नियंत्रण रखने के आदेश कम्पनी को देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से जनहित में जो आपत्ति जताई गई उसे संबंधित अधिकारियों के समक्ष नहीं रखा गया है. सर्वप्रथम उद्योग व उत्खनन विभाग के पास इस मसले को रखा जाना चाहिए था.
अदालत ने आदेश में कहा कि यदि संबंधित विभाग के पास मसला रखने के बाद भी हल नहीं किया जाता है तो याचिकाकर्ता को अगला कदम उठाने की स्वतंत्रता है. किंतु इस स्तर पर फिलहाल याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती है. याचिकाकर्ता सर्वप्रथम इस बात की ओर संबंधित विभाग का ध्यानाकर्षित करें. यदि संबंधित अधिकारी कुछ न करें तो कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. यदि याचिकाकर्ता की ओर से विभाग के पास इस अर्जी दायर की जाती है तो अर्जी पर नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के आदेश भी अदालत ने जारी किए. उल्लेखनीय है कि शीत सत्र के दौरान भी विधानसभा में इस मसले पर चर्चा के दौरान विधायकों द्वारा आपत्ति जताई गई थी. अधिक उत्खनन होने पर सरकार का भी ध्यानाकर्षित किया गया था.