कुत्तों का आतंक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: नागपुर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में 12 वर्षीय एक बालक की आवारा कुत्तों से डरकर 5वीं मंजिल से गिरने से मौत हो गयी। इस दर्दनाक घटना पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की। विजय तालेवार द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पूछा कि क्या महानगरपालिका के पास पर्याप्त एंटी-रेबीज वैक्सीन का भंडार है और पुलिस विभाग ने इस दिशा में अब तक क्या कार्रवाई की है।
जस्टिस अनिल किल्लोर और जस्टिस वृषाली जोशी की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों की समस्या पर अब अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस विषय में शपथपत्र दाखिल करे कि कुत्तों को नियंत्रित करने में असफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता के वकील फिरदौस मिर्जा ने दलील दी कि यदि यही स्थिति बनी रही तो कुत्तों को मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। इस पर पशु कल्याण मंडल के वकील सान्याल ने कड़ी आपत्ति जताई और समाधान के लिए शपथपत्र प्रस्तुत किया। इस याचिका की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। इस प्रकरण में केंद्रीय पशु कल्याण बोर्ड की ओर से एड. नंदेश देशपांडे ने, जबकि मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा।
पुलिस आयुक्त ने अदालत में बताया कि शहर के किन इलाकों में कुत्तों का ज्यादा आतंक है, इसकी जानकारी इकट्ठा की जा रही है। साथ ही महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951 की धारा 44 के तहत कार्रवाई की जाएगी। 3 वर्षों में कुत्तों के काटने की कितनी शिकायतें आईं, इसकी जानकारी भी अदालत को दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर लोग या स्वयंसेवी संस्थाएं कुत्तों को खाना देती हैं उन पर निगरानी रखी जाएगी।
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महानगरपालिका ने अपने शपथपत्र में कहा कि जनवरी 2022 से जुलाई 2025 के बीच 24,733 लोगों को रेबीज रोधी वैक्सीन दी गई है। नगर निगम ने हाई कोर्ट के सभी निर्देशों का पालन किया है और शहर में पर्याप्त एंटी-रेबीज वैक्सीन मौजूद है, साथ ही आवारा कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने हेतु उपयुक्त जमीन का सर्वेक्षण भी जारी है।