नागपुर रेलवे स्टेशन रोड पर फ्लाईओवर की जमीन पर वाहनों का जमावड़ा (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Flyover Case News: नागपुर रेलवे स्टेशन फ्लाईओवर को तोड़कर उसके स्थान पर 6 लेन रोड के विकास की योजना तैयार की गई। इसके लिए फ्लाईओवर तोड़ते समय इसके नीचे स्थित दुकानों के दुकानदारों का पुनर्वास करने की भी योजना तैयार की गई किंतु प्रशासन की ओर से उचित निर्णय नहीं लिए जाने के कारण लाइसेंसधारक दुकानदारों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर जमीन का उपयोग बदलने के लिए मनपा द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर निर्णय लेने का अंतिम अवसर प्रदान किया था।
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार अब राज्य सरकार ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) और मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एमपीएसआरटीसी) के रूप में दर्शाए गए मौजा सीताबर्डी के नगर सर्वेक्षण क्रमांक 2422, 2408, 2310, 2409, 2407, 2406, 2404, 2403 और 2402 की भूमि के कुछ क्षेत्र को मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब के उपयोग में परिवर्तित किए जाने की जानकारी हाई कोर्ट को प्रदान की। याचिकाकर्ता की ओर से अधि। महेश धात्रक और मनपा की ओर से अधि। जैमिनी कासट ने पैरवी की।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से लिए गए फैसले की जानकारी कोर्ट के समक्ष प्रदान की गई। निर्णय के अनुसार राज्य सरकार ने भले ही जमीन का उपयोग बदला हो लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी लागू की हैं जिसके अनुसार स्वीकृत संशोधन प्रस्ताव में शामिल रक्षा विभाग के क्षेत्र के लिए रक्षा विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है।
इसी तरह से मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एमपीएसआरटीसी) के रूप में नामित भूमि के संबंध में रिट याचिका क्रमांक 609/2019 में माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन कार्रवाई करना आवश्यक है। साथ ही महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमपीएसआरटीसी) और रेलवे विभाग की भूमि के संबंध में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) और रेलवे विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक होगा।
सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि उपयुक्त स्वीकृत संशोधन की आंशिक योजना की एक प्रति आयुक्त, नागपुर महानगरपालिका के कार्यालय में एक महीने की अवधि के लिए सभी कार्य दिवसों में कार्यालय समय के दौरान सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहेगी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता महेश धात्रक ने महा मेट्रो द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव पर ध्यानाकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए आवश्यक निधि का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है जिस पर निर्णय होना बाकी है।
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याचिकाकर्ता की जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने पूछा कि निधि कब तक उपलब्ध कराई जाएगी। इस संदर्भ में जवाब दायर करने के आदेश सरकार को दिए। कोर्ट का मानना था कि सड़क चौड़ीकरण की पूरी योजना एनएमसी, पीडब्ल्यूडी के माध्यम से राज्य और महा मेट्रो के बीच एक समझौता थी। महा मेट्रो केवल एक कार्यान्वयन एजेंसी है।
इस प्रकार एनएमसी और पीडब्ल्यूडी के माध्यम से राज्य पर यह सुनिश्चित करने का दायित्व था कि एमएसआरटीसी, एमपीएसआरटीसी और नेहरू मॉडल स्कूल की भूमि को वाणिज्यिक क्षेत्र में परिवर्तित करने के लिए निर्णय लिया जाए।