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पुलिस को झटका, कई MPDA डिटेंशन आदेश रद्द, हाई कोर्ट ने 13 याचिकाकर्ताओं को तत्काल रिहा करने के आदेश

Nagpur Police: हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटीज एक्ट, 1981 (MPDA Act) के तहत पारित कई हिरासत आदेशों को रद्द कर दिया।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Oct 19, 2025 | 10:08 PM

पुलिस को झटका, कई MPDA डिटेंशन आदेश रद्द (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Nagpur Crime: नागपुर पुलिस द्वारा जारी किए गए डिटेंशन आदेश को चुनौती देते हुए अलग-अलग 13 फौजदारी रिट याचिकाएं दायर की गईं। इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटीज एक्ट, 1981 (MPDA Act) के तहत पारित कई हिरासत आदेशों को रद्द कर दिया। साथ ही 13 याचिकाकर्ताओं को तत्काल रिहा करने के आदेश भी दिए।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधि। एन।आर। टेकाडे, अधि. ए.एम.जलतारे, अधि.वी.आर. देशपांडे और राज्य सरकार की ओर से अधि.आई.जे. दामले, अधि. आर.वी. शर्मा, अधि.ए.बी. बदर ने पैरवी की। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि राज्य सरकार द्वारा धारा 3 के तहत अधिकारियों को शक्ति प्रदान करने का आदेश अवैध पाया जाता है तो हिरासत का आदेश शुरुआत से ही निष्क्रिय माना जाएगा।

पर्याप्त कारणों का अभाव

दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने पाया कि इन मामलों में शामिल मुद्दा पहले के अक्षय भास्कर सहारे बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में दिए गए फैसले से संबंधित है। उस फैसले में कोर्ट ने MPDA अधिनियम की धारा 3(2), 3(3) और 12 के तहत पारित आदेशों में गंभीर प्रक्रियात्मक कमियां पाई थीं। हाई कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने इन शक्तियों का प्रयोग पर्याप्त कारण बताए बिना किया था।

पूरे महाराष्ट्र में परिस्थितियों को समान माना गया जिसने यह दर्शाया कि अधिकारियों ने ‘दिमाग का उपयोग नहीं किया’। कोर्ट ने कहा कि यह दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

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सेक्शन अफसर ने पारित किए थे आदेश

कोर्ट ने कहा कि हिरासत आदेश पारित करते समय MPDA अधिनियम की धारा 2(a) के तहत परिभाषित सार्वजनिक व्यवस्था के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया। अनुमोदन आदेश भी यांत्रिक तरीके से पारित किए गए थे।

कोर्ट ने कहा कि धारा 3(3) के तहत अनुमोदन आदेश कारण या तर्क दर्ज किए बिना जारी किए गए थे। इसके अलावा धारा 12 के तहत पुष्टि आदेश नियमित रूप से पारित किए गए थे और वे गैर तर्कसंगत थे। याचिकाकर्ताओं को सूचित किए गए धारा 12 के आदेश एक सेक्शन ऑफिसर द्वारा पारित किए गए थे न कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित किए गए थे। कुछ अनुमोदन आदेश आवश्यक पद से नीचे के अधिकारी द्वारा जारी किए गए थे।

High court quashes several mpda detention orders orders immediate release of 13 petitioners

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Published On: Oct 19, 2025 | 10:08 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Maharashtra
  • Nagpur News
  • Nagpur Police

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