अनधिकृत निर्माण ढहाने के नोटिस पर रोक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur District: याचिकाकर्ता को उसके आवासीय घर के अनधिकृत निर्माण के संबंध में नगर रचना के उपसंचालक द्वारा 12 जून, 2020 को एक नोटिस जारी किया गया था। यह तर्क दिया जाता है कि याचिकाकर्ता ने नगर रचना उपसंचालक को एक संशोधित बिल्डिंग प्लान प्रस्तुत किया था।
उपसंचालक ने उक्त प्लान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। 28 मार्च, 2022 को महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 47(1) के तहत अपील दायर करके सक्षम प्राधिकारी नगर विकास विभाग से संपर्क किया। यह प्रस्तुत किया गया है कि लगभग साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी उक्त अपील पर निर्णय नहीं लिया गया और वह अभी भी लंबित है।
हालांकि उक्त अपील के लंबित रहने के दौरान गांधीबाग जोन के सहायक आयुक्त ने 30 सितंबर, 2025 को याचिकाकर्ता को कथित अनाधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश देते हुए विवादास्पद नोटिस जारी किया जिससे मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने न केवल नोटिस पर रोक लगा दी, बल्कि राज्य सरकार को 3 महीने में अपील पर फैसला लेने के आदेश भी दिए।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कोर्ट को बताया कि नगर विकास विभाग के पास 28 मार्च, 2022 को अपील दायर की गई थी, जो साढे़ तीन वर्षों से लंबित है। अपील लंबित होने के बावजूद सहायक आयुक्त द्वारा 30 सितंबर, 2025 को तोड़ू नोटिस जारी कर दिया गया। विशेषत: याचिकाकर्ता को सबसे पहले नगर रचना उपसंचालक द्वारा 12 जून, 2020 को अनधिकृत निर्माण के संबंध में नोटिस जारी किया गया था। इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने संशोधित बिल्डिंग प्लान प्रस्तुत किया था जिसे नगर रचना उपसंचालक ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
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कोर्ट को यह भी बताया गया कि गांधीबाग जोन के सहायक आयुक्त इस अपील के लंबित होने से अवगत थे और उसने 8 जुलाई, 2023 को नगर विकास विभाग के समक्ष अपना जवाब भी दाखिल किया था, फिर भी तोड़ू नोटिस जारी किया गया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील पर इस आदेश के प्राप्त होने की तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेने के आदेश नगर विकास विभाग को दिए। साथ ही नगर विकास विभाग का निर्णय आने तक 30 सितंबर, 2025 के आपत्तिजनक नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने के आदेश मनपा को दिए।