हर्षवर्धन सपकाल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले में हुए हमले के बाद विपक्ष ने सरकार का साथ देते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है। विपक्ष ने सरकार के फैसले का समर्थन करने की बात कही, जिसके बाद सरकार ने जाति जनगणना कराने का बड़ा और ऐतिहासिक फैसला ले लिया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन वसंतराव सपकाल ने शुक्रवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को इसका श्रेय दिया, क्योंकि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है।
हर्षवर्धन सपकाल ने मांग की कि जाति जनगणना को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए। हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, “कांग्रेस मांग करती है कि इसे (जाति जनगणना) समयबद्ध तरीके से तुरंत लागू किया जाए। भाजपा को भी इसी पर ध्यान देना चाहिए। यह राहुल गांधी की जीत है। अगर यह फैसला लिया जाता है, तो यह देश के लिए फायदेमंद साबित होगा। हम अनुरोध करते हैं कि यह फैसला महज घोषणा न हो, बल्कि हकीकत में लागू हो।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पाकिस्तान के बारे में “चुन चुन के बदला लेंगे” टिप्पणी पर बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार के किसी भी फैसले के साथ खड़े होने का फैसला किया है।” इससे पहले गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने जाति जनगणना को मंजूरी देने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक न्याय हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने कहा कि यह कदम पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के लिए एक बड़ी जीत है और विभिन्न समूहों के सामूहिक दबाव का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना कराने का फैसला पीडीए के 90 फीसदी लोगों की 100 फीसदी जीत है। यादव ने जोर देकर कहा था कि समाज के सभी वर्गों के संयुक्त दबाव के कारण भाजपा सरकार को यह फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यादव ने कहा, “सरकार ने अभी एक फैसला लिया है। हमें खुशी है कि सामाजिक न्याय स्थापित करने की दिशा में एक कदम उठाया गया है। जाति जनगणना का फैसला पीडीए के 90 फीसदी लोगों की 100 फीसदी जीत है। हम सभी के संयुक्त दबाव के कारण भाजपा सरकार को यह फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सामाजिक न्याय की लड़ाई में पीडीए की जीत में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।” यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा आगामी जनगणना में जातियों को शामिल करने के फैसले के बाद आया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 अप्रैल को राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की। (एजेंसी इनपुट के साथ)