श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (सौजन्य-नवभारत)
Shree Krishna Janmashtami: जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव शनिवार 16 अगस्त यानी आज मनाया जाएगा। श्री हरि के 8वें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हर साल इस पावन दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक 3 साल बाद वृद्धि वेग, ध्रुव योग और कृतिका नक्षत्र जैसे विशेष संयोग में यह पर्व मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन चंद्रमा उच्च राशि वृषभ में होगा। यह दुर्लभ योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय भी बना था। इसके अलावा सूर्य और बुध के कर्क राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा। इस अवधि में व्रत करने का विशेष फल मिलेगा।
हालांकि, इस बार कृष्ण जन्म के द्वापर युग जैसा संयोग रोहिणी नक्षत्र व मध्यरात में अष्टमी नहीं रहेगी। सूर्य और चंद्रमा का योग की मिलेगा। जन्माष्टमी की तैयारियों को लेकर शहर के इस्कॉन मंदिर के साथ दूसरे कृष्ण मंदिरों और घरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मंदिरों को लाइटिंग से सजाया गया है। भक्तों को दर्शन के दौरान किसी तरह की समस्या न हो इसके सटीक इंतजाम किए जा रहे हैं।
मंदिरों फूलों से भगवान का श्रृंगार किया जाएगा। इसके लिए देशी और विदेशी दोनों तरफ के फूलों का उपयोग किया जाएगा। वहीं कान्हा के लिए मथुरा और वृन्दावन से खास सामग्री मंगाई गई है। वस्त्र, बांसुरी, मुकुट के साथ कई प्रकार के झूले इसमें शामिल हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार जन्माष्टमी पर्व पर वृद्धि ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य जैसे छह शुभ योगों का विशेष संयोग रहेगा। इन योग को धन, सुख, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11.50 बजे से 16 अगस्त की रात 9:35 तक रहा। इसके सूर्योदय व्यापिनी होने के चलते जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
वहीं ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रमोहन दाधीच का कहना है कि शनिवार को शनि, राहु और केतु वक्री अवस्था में अलग-अलग राशियों में विराजमान रहेंगे। वहीं गृहों के राजकुमार बुध मार्गी अवस्था में रहेंगे। ग्रहों का यह संयोग कई राशियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
शहर के इंप्रेसमॉल स्थित इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन 16 अगस्त को होगा। तैयारियों की एक बैठक मंदिर प्रांगण में की गई जिसकी अध्यक्षता इस्कॉन मंदिर के प्रचार पमुख डॉ. श्यामसुंदर शर्मा ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में एम्स्टर्डम नीदरलैंड के कनिश वडेरा अपनी पुत्री पवित्रा वडेरा के साथ विशाल दास एवं वेणुगोपाल दास व अन्य लोग मौजूद थे।
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इस दौरान बताया गया कि 15 अगस्त को भगवान के विशेष श्रृंगार के दर्शन सुबह 4.30 बजे से मध्य रात 12.00 बजे तक रहेंगे। जन्माष्टमी के दिन 16 अगस्त को कार्यक्रम सुबह 4.30 बजे मंगला आरती से प्रारंभ हुआ। 5 बजे नृसिंह आरती, 5.15 बजे तुलसी आरती होगी उसके बाद 7.15 बजे तक सभी नाम संकीर्तन करेंगे। 11 बजे से दिन भर विभिन्न यजमानों द्वारा भगवान का अभिषेक किया जायेगा।