मीड डे मील (फाइल फोटो)
Nagpur News: प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के अंतर्गत राज्य के स्कूलों में दिये जाने वाले पोषण आहार से छात्रों को कोई फूड पॉइजनिंग न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग ने कार्यपद्धति निश्चित की है। पौष्टिक आहार में विषाक्तता पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। यदि निरीक्षण के दौरान आपूर्तिकर्ता का गोदाम दूषित पाया जाता है तो पहली बार 50,000 रुपये और दूसरी बार 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
साथ ही यदि घटिया अनाज के कारण फूड पॉइजनिंग की प्रयोगशाला रिपोर्ट आती है तो आपूर्तिकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और उसका भुगतान नहीं किया जाएगा। योजना के तहत राज्य के स्थानीय सरकारी निकायों, निजी सहायता प्राप्त और आंशिक रूप से सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से 8वीं तक के छात्रों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
इसके लिए स्कूलों में चावल और अनाज उपलब्ध कराने के लिए एक निविदा के माध्यम से एक ठेकेदार की नियुक्ति की जाती है। भोजन महिला स्वयं सहायता समूहों, महिलाओं, रसोइयों और सहायकों द्वारा विद्यालय प्रबंधन समिति के माध्यम से पकाया और वितरित किया जाता है। योजना में भोजन से विषाक्तता की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए शिक्षा विभाग ने एक मानक संचालन प्रक्रिया तय की और एक परिपत्र जारी किया है।
विभाग ने स्कूल प्रबंधन समिति को निर्देश दिए हैं कि यदि चावल व अन्य अनाज अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं तो आपूर्तिकर्ता से उन्हें बदलने के लिए कहें। यह सुनिश्चित करें कि उनकी समाप्ति तिथि एक वर्ष हो। पीने का पानी साफ रहे और भोजन का नियमित निरीक्षण करें। रसोई परिसर में कीड़े, तिलचट्टे, चूहे, सांप और बिल्लियां न घूमें। यह सुनिश्चित करें कि भोजन बनाने वाले रसोइये और सहायक स्वयं स्वच्छता बनाए रखें।
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हर 6 महीने में अपने स्वास्थ्य की जांच करवाएं और जिला स्तर पर हर महीने अनाज के नमूनों की जांच की जाए। वितरण से आधा घंटा पहले भोजन को चखना आवश्यक है। छात्रों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए यह कहा गया है कि शिक्षक, रसोइया, सहायक या अभिभावक द्वारा भोजन वितरण से आधा घंटा पहले उसे चखना अनिवार्य होगा।