ईएसआईसी अस्पताल के 7 साल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
ESIC Hospital Butibori: बुटीबोरी में ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल आज टूटे हुए वादों और प्रशासनिक उपेक्षा का प्रतीक बनकर खड़ा है। 2018 में कैमरों की चकाचौंध के बीच 200 बिस्तरों वाले जिस अस्पताल का उद्घाटन किया गया था, जिसे क्षेत्र की औद्योगिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले श्रमिकों की सेवा के लिए तैयार किया गया था, वह अपनी दिसंबर 2025 की समय-सीमा को भी चूकने की कगार पर है। इस तरह हजारों बीमाकृत श्रमिकों के लिए यह अन्याय का एक और वर्ष बन सकता है।
पिछले सात वर्षों में बुटीबोरी के श्रमिकों ने ईएसआईसी फंड में करोड़ों रुपये का योगदान दिया है, इस विश्वास के साथ कि यह प्रणाली उनके स्वास्थ्य और सम्मान की रक्षा करेगी। लेकिन बदले में उन्हें एक खाली इमारत और लगातार बहाने ही मिले हैं। यह क्षेत्र राज्य के सबसे अधिक योगदान देने वाले औद्योगिक गलियारों में से एक है। जहाँ 1.2 लाख श्रमिकों से प्रति माह लगभग 5 करोड़ रुपये का योगदान होता है—फिर भी बुटीबोरी उन बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित है, जिसके लिए वह पहले ही भुगतान कर चुका है।
हर दिन श्रमिकों को सामान्य इलाज के लिए भी नागपुर शहर की यात्रा करनी पड़ती है। इससे समय बर्बाद होता है, मजदूरी का नुकसान होता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ बढ़ती हैं। वे ईएसआईसी को नियमित योगदान दे रहे हैं, लेकिन अपने ही क्षेत्र में सेवाओं से वंचित बने हुए हैं।
स्थानीय निकायों और औद्योगिक संगठनों का कहना है कि अब श्रमिकों का धैर्य जवाब देने लगा है। वे तत्काल हस्तक्षेप, निर्माण की वास्तविक प्रगति का पारदर्शी खुलासा और देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सात साल की प्रतीक्षा के बाद बुटीबोरी के श्रमिक अब स्पष्ट कह रहे हैं। उन्हें वह अस्पताल चाहिए, जिसका वादा किया गया था, जिसके लिए उन्होंने भुगतान किया है और जिसके वे हकदार हैं।