जनप्रतिनिधियों को आम लोगों की मदद की भूमिका अपनानी चाहिए (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को आम जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर कानून और लालफीताशाही में उलझने के बजाय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए आवश्यकतानुसार कानून बदलने की तत्परता रखनी चाहिए।
वह विधान परिषद सभागार में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ द्वारा आयोजित ‘जनप्रतिनिधियों की अपने निर्वाचन क्षेत्रों के प्रति जिम्मेदारी और उसके लिए सदन के माध्यम से उपलब्ध संवैधानिक मंच’ विषय पर मार्गदर्शन कर रहे थे। इस अवसर पर विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे और विधानमंडल की सचिव मेघना तलेकर उपस्थित थीं।
शिंदे ने कहा कि यह भावना निरंतर बनाए रखना आवश्यक है कि “मेरे निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों ने मुझे चुना है, इसलिए मेरा काम उन्हीं के लिए है।” उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को लोगों के दुख कम करने और उन्हें सुख व संतोष देने के लिए अपने पद का सदुपयोग करना चाहिए। एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के रूप में जनता की समस्याओं को समझकर, संविधान में उपलब्ध सभी रास्तों का उपयोग करके समाधान करना ही जनता के जीवन को सहज बना सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र एक पवित्र मंदिर है और आम जनता ही उनका ईश्वर है। उन्होंने स्वयं को आज भी एक छात्र मानते हुए कहा कि एक अच्छा जनप्रतिनिधि बनने के लिए हमेशा सीखते रहना आवश्यक है। शिंदे ने लोकतंत्र की तुलना जनता और जनप्रतिनिधि के बीच बहने वाली पवित्र गंगा से की और कहा कि इस गंगा को प्रवाहित रखना और प्रदूषित न होने देना सरकार और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है।
जनप्रतिनिधियों की निर्वाचन क्षेत्र के प्रति जिम्मेदारी पर बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने ‘माझी लाडकी बहीण’ योजना, लड़कियों को मुफ्त उच्च शिक्षा, गरीबों के लिए बालासाहेब ठाकरे आपला दवाखाना, जीवनदायी योजना में 5 लाख रुपये तक का इलाज और मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कक्ष के माध्यम से ढाई साल में 80 हजार मरीजों को लगभग 450 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है।
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इसके अलावा, ‘शासन आपल्या दारी’ योजना का लगभग 5 करोड़ लोगों ने लाभ लिया है। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने संतोष व्यक्त किया कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में वे लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी निभा पा रहे हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक जिम्मेदारी, जनकल्याण योजनाओं और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की भूमिका पर जोर दिया।