
‘ई-लॉगिंग’ घोटाला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
E-Logging Scam: डिजिटल युग की ओर कदम बढ़ाते हुए महानगरपालिका ने भले ही प्रशासनिक कामकाज में बड़ा बदलाव करते हुए ई-ऑफिस प्रणाली को प्रभावी हथियार बनाया हो किंतु जिस तरह से तकनीकी के कुछ लाभ हैं उसी तरह से तकनीकी के कुछ नुकसान भी है। इसके उदाहरण मनपा में उजागर हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार मनपा में गत समय हुए स्टेशनरी घाटोले में आईडी को प्रमुख हथियार माना गया था जिसमें अधिकारियों की आईडी का उपयोग कर पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। अब इसी तरह की खतरा पुन: मंडराने लगा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मनपा में कुछ अधिकारियों ने ई-लॉगिंग का आईडी तथा पासवर्ड तक कम्प्यूटर ऑपरेट करने वाले निजी सचिव (पीए) को दे रखा है।
जानकारी के अनुसार कुछ अधिकारी साइट का कारण देते हुए विभागों से बाहर रहते है किंतु उनका काम बदस्तूर जारी रहता है। इसकी पूछ-परख करने पर उनकी अनुपस्थिति में पीए द्वारा कार्य किए जाने का खुलासा किया गया।
मनपा में कुछ अधिकारी निश्चित ही पूरी ईमानदारी से आधुनिक ई-ऑफिस प्रणाली पर पूरी तरह से कार्य कर रहे है किंतु कुछ अधिकारी चंद मिनटों के लिए कार्यालय आने के बाद बाहर निकल जा रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति में पीए द्वारा कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
ई-ऑफिस की कार्यप्रणाली में विभाग में स्थित कम्प्यूटर पर लॉगिन तो आसान है किंतु पासवर्ड के रूप में संबंधित अधिकारी के लॉगिन के आधार पर दर्ज मोबाइल नंबर पर ओटीपी जारी होता है। इस ओटीपी के बिना सिस्टम में प्रवेश नहीं किया जा सकता है। आधुनिकीकरण का लाभ उठाने के लिए कुछ अधिकारियों ने 2 मोबाइल रखे हैं जिनमें से एक मोबाइल इस सिस्टम में दर्ज है जिस पर ओटीपी आता है।
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इस मोबाइल को पीए के लिए कार्यालय में ही छोड़ दिया जाता है जिससे सिस्टम में लॉगिन आसान हो जाता है, साथ ही दिनभर कार्यालय में नहीं होने के बावजूद ऐसे अधिकारियों के कामकाज बदस्तूर जारी रहता है। जानकारों की मानें तो वरिष्ठ अधिकारियों की मॉनिटरिंग की कमी के कारण यह गड़बड़ी जारी है।
जानकारों की मानें तो नगर विकास विभाग अंतर्गत आने वाली महानगरपालिका में लगाया गया ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर एक तरह से पूरे राज्य के लिए एक सिस्टम है जिस पर ई-ऑफिस के माध्यम से कागज-रहित प्रशासन का प्रयास किया जा रहा है और अधिकांश रिकॉर्ड अब डिजिटल रूप में ही संभाले जा रहे हैं। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने 150 दिनों के भीतर सभी प्रणाली कम्प्यूटरीकृत करने के निर्देश जारी किए थे।
जिसके अनुसार मनपा के सभी विभागों को कम्प्यूटरीकृत किया गया किंतु अब तक केवल 80 प्रतिशत अधिकारी-कर्मचारी ही पूरी तरह से इस पर काम कर रहे हैं। इस प्रणाली से फाइलों की ट्रैकिंग सरल होने की जानकारी भी सूत्रों ने दी। कोई भी वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ कनिष्ठ अधिकारी द्वारा किए जा रहे कार्य का आकलन कर सकते हैं।






