
हरिद्वार के लिए ट्रेन कब (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Railways: रेल यात्रियों की सुविधाओं और कर्मचारियों की समस्याओं से जुड़े कई पुराने मुद्दे अभी तक सुलझ नहीं पा रहे है। इन्हीं विषयों को लेकर एक ज्ञापन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजा गया है जिसमें रेलवे से जुड़ीं कई महत्वपूर्ण मांगों को शीघ्र पूरा करने की अपील की गई है।
पत्र में प्रमुख रूप से नागपुर से हरिद्वार के लिए सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग उठाई गई है; साथ ही वरिष्ठ नागरिकों की रियायतें बहाल करने, अविवाहित पुत्री एवं तलाकशुदा बहनों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल करने, रेल कर्मचारियों की ड्यूटी की समय सीमा निर्धारित करने जैसी अन्य पुरानी मांगों को भी दोहराया गया है।
भारतीय यात्री केंद्र के सचिव बसंत कुमार शुक्ला ने कहा कि हरिद्वार यानी हर (शंकर) के धाम का द्वार। हालांकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के दावे करने वाली नई भारतीय रेलवे अभी तक नागपुर से हरिद्वार के बीच कोई सीधी ट्रेन उपलब्ध नहीं करवा सकी है। इससे लग रहा है कि जैसे हजारों यात्रियों की ये मांग पुरानी हो चुकी है, इसलिए नई भारतीय रेलवे सुनने मूड में नहीं है।
वर्तमान में विदर्भ के यात्रियों को मथुरा, दिल्ली या निजामुद्दीन से हरिद्वार की ट्रेन पकड़नी पड़ती है। नागपुर से निजामुद्दीन तक चलने वाली ट्रेनों को हरिद्वार तक बढ़ाए जाने की मांग की गई है। हरिद्वार एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यहां प्रति वर्ष हजारों की संख्या में नागपुर और विदर्भ क्षेत्र के यात्री यात्रा करते हैं।
यदि नागपुर से हरिद्वार तक सीधी ट्रेन शुरू की जाती है तो यात्रियों को सुविधा होगी, समय और खर्च दोनों की बचत होगी। साथ ही रेल राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके अलावा धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। विदर्भ क्षेत्र के यात्रियों को उत्तर भारत के धार्मिक स्थलों तक आसान पहुंच मिलेगी।
पत्र में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है कि रेलवे पेंशनर्स की अविवाहित पुत्री, तलाकशुदा एवं विधवा बहनों को रेल स्वास्थ्य सेवा (आरईएलएचएस) का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण भ्रष्टाचार है। ऐसे मामलों मे अक्सर ऐसा देखा गया है कि संबंधित अधिकारी कागजातों की कमी बताकर प्रार्थी की फाइल लटका देते हैं।
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जब उनकी जेब गरम की जाती है तब सारे कागजात शुद्ध हो जाते हैं और फाइल पास हो जाती है। हाल ही में सीबीआई ने मध्य रेल नागपुर मंडल में मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में ऐसे ही एक दिव्यांग रेल अधिकारी को फाइल पास कराने के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ अरेस्ट किया था। ये गिरफ्तारी पेंशन और आरईएलएचएस जैसी सेवाओं के लिए सीधे भ्रष्टाचार का सबूत है। ज्ञापन में मांग की गई है कि इन सभी को भी रेलवे स्वास्थ्य योजना में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में रेल कर्मचारियों से 8 घंटे से अधिक काम लिया जा रहा है जिससे उनकी कार्यक्षमता और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों की ड्यूटी अधिकतम 8 घंटे तक सीमित की जानी चाहिए।
शुक्ला ने कहा कि हाल में एनएचआरसी ने स्टेशन मैनेजरों की ड्यूटी टाइमिंग को लेकर रेलवे बोर्ड अध्यक्ष और मध्य रेल के महाप्रबंधक से जवाब मांगा है। ये मामला रेलवे में मानवाधिकार के उल्लंघन की कई शिकायतों का आधार बनेगा, इसलिए रेल कर्मियों की ड्यूटी के संदर्भ में रेलवे मानवाधिकार को गंभीरता से ले। इसके अलावा सीनियर सिटीजनों की रियायतें दोबारा शुरू की जानी चाहिए।






