नागपुर. शहर मेट्रो सिटी के लिए उड़ान भर चुका है. फ्री पब्लिक वाईफाई और हर दिन एक लाख से अधिक लोगों द्वारा मेट्रो रेल का उपयोग, यह सब बताता है कि अब शहरवासियों ने स्मार्ट सिटी की मेट्रो लाइफ को अपनाना शुरू कर दिया है. हालांकि 33 लाख की जनसंख्या वाले शहर में मेट्रो रेल में सफर करने वालों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा समान है. इससे कहीं अधिक संख्या में विद्यार्थी, कामकाजी पुरुष-महिला व अन्य नागरिकों के लिए स्टार बस ही उपलब्ध सार्वजनिक परिवहन है. लेकिन इन सिटी बसों में स्मार्ट सिटी जैसा कुछ नजर नहीं आता. सिटी में इलेक्ट्रिक सिटी बसों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है. ऐसे में इन बसों में भी मेट्रो रेल की भांति डिजिटल कार्ड सिस्टम लागू किया जा सकता है. इसमें डिजिटल कार्ड या बार कोर्ड स्कैन होने पर ही गेट खुलेगा.
शहर में दौड़ रहीं इलेक्ट्रिक बसें ऑटोमेटिक हैं. आज अधिकांश नागरिकों को बार कोड स्कैनिंग का फंडा पता है. मेट्रो रेल हो या क्रिकेट मैच, मूवी टिकट हो या फिर छोटे-मोटे ऑनलाइन पेमेंट, लगभग हर किसी को बार कोड स्कैनिंग आती है. मेट्रो में हर टिकट पर बार कोड बना होता है. इस कोड की स्कैनिंग के बाद ही भीतर आने या बाहर जाने वाले गेट खुलते हैं. मेट्रो रेल की भांति सिटी बसों में भी सफर करने वाले लोगों में सबसे अधिक संख्या विद्यार्थियों और कामकाजी लोगों की है. उनके क्षेत्र में मेट्रो रेल के तौर पर पर्याय न होने पर मजबूरन सिटी बसों में सफर करना पड़ा रहा है.
बस में चढ़ने के बाद उन्हें पुराने ढर्रे के समान की कंडक्टर से टिकट कटवानी होती है. जब मेट्रो रेल में डिजिटल कार्ड और बार कोड टिकट सिस्टम चल सकता है तो कम से कम सिटी की नई इलेक्ट्रिक बसों में इस सिस्टम का प्रयोग किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि स्टार बसों में टिकटों का फर्जीवाड़ा कई बार सामने आ चुका है. कहीं अधिक संख्या में यात्रियों ने स्टार बसों में सफर किया गया लेकिन उनसे किराया वसूलकर टिकट में घपलेबाजी की. डिजिटल कार्ड सिस्टम पर इस फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
इन दिनों शहर को 21 और 22 मार्च को आयोजित होने वाली जी-20 मीटिंग के लिए सजाया जा रहा है. ऐसे में स्मार्ट और डिजिटल सिटी की तस्वीर पेश करने का यह सबसे बेहतरीन अवसर है. प्रमुख रास्तों, फ्लाईओवरों, अंडरब्रिजों का रंगरोगन तेजी से जारी है. चौराहों को भी पारंपरिक और आधुनिक रूपों में ढाला जा रहा है. जी-20 मीटिंग से पहले और भी इलेक्ट्रिक सिटी बसें शहर की सड़कों पर दिख सकती हैं. यदि शुरुआत से ही इन बसों में डिजिटल कार्ड सिस्टम लगाया जाए तो दुनिया के सामने विकसित शहर की पहली तस्वीर नजर आने लगेगी क्योंकि सिटी बस शहर के हर सबसे निचले तबके से लेकर हर आम आदमी से जुड़ी रहती है.