आदिवासी आश्रम विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के लिए नियंत्रण समिति। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाला आदिवासी समुदाय भले ही अपनी संस्कृति को बचाए रखे, लेकिन वह शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहीए। इसके लिए आश्रम विद्यालयों के माध्यम से उन्हें सभी शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है। आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उइके ने घोषणा की कि आश्रम शालाओं और छात्रावासों में उपलब्ध सुविधाओं में वृद्धि करते हुए आश्रम शालाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक नियंत्रण समिति बनाई जाएगी।
वनामती स्थित सभागार में जनजातीय विकास मंत्री की उपस्थिति में जनजातीय विकास विभाग द्वारा अभिनव पहल के तहत क्रियान्वित विभिन्न पहलों की प्रस्तुति तथा इसमें सहयोग देने वाले संगठनों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। वे इस अवसर पर मार्गदर्शन देते हुए बोल रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री शंकर बाबा पापलकर थे।
इस अवसर पर अतिरिक्त आदिवासी उपायुक्त रवींद्र ठाकरे, उपायुक्त दिगंबर चव्हाण, परियोजना अधिकारी रंजीत यादव (गढ़चिरौली), कुशल जैन (अहेरी), दीपक हेड़ाऊ (वर्धा), विकास राहेलवार (चंद्रपुर), प्रवीण लाटकर (चिमूर), नीरज मोरे (भंडारा), उमेश काशिद (देवरी), उप निदेशक डॉ. परमपिता परमात्मा आपके साथ रहें, शिवराम भलावी, दिनेश शेरम, डॉ. गोडवटे, अधीक्षण अभियंता उज्ज्वल दबे मुख्य रूप से उपस्थित थे। शंकरबाबा पापलकर और रवींद्र ठाकरे को पद्मश्री से सम्मानित करने के बाद उनकी सेवानिवृत्ति पर सम्मानित किया गया।
आदिवासियों के जीवन में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ पूरे समाज की शैक्षिक उन्नति की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। आदिवासी विभाग के अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र ठाकरे ने पिछले 4 वर्षों में विभिन्न पहलों के माध्यम से इस समुदाय के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा दिया है। आश्रम विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भाषण कक्षा, ब्राइटर माइंड आदि शैक्षिक गतिविधियाँ क्रियान्वित की गईं। इस पहल से कई छात्र मेरिट सूची में स्थान बनाने में सक्षम हुए हैं। जनजातीय विकास मंत्री डॉ. उइके ने विश्वास व्यक्त किया कि उनके द्वारा शुरू की गई सभी पहल भविष्य में भी जारी रहेंगी।
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आदिवासी विभाग के अंतर्गत सभी आश्रम शालाओं एवं छात्रावासों में विद्यार्थियों के लिए सुविधाओं में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। नए पाठ्यक्रम के अनुसार, विद्यार्थियों को अत्याधुनिक शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराना आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रत्येक आश्रम स्कूल में छात्रावासों में उपलब्ध सुविधाओं और सुख-सुविधाओं में सुधार के लिए एक नियंत्रण समिति बनाई जानी चाहिए, और यदि यह समिति नियमित रूप से विद्यार्थियों के साथ बातचीत करेगी, तभी प्रत्येक आदिवासी बच्चे को शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी। आदिवासी आश्रम विद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग देने वाले विभिन्न संगठनों एवं व्यक्तियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर ने कहा कि आदिवासी समुदाय वनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि वे ईमानदार और मेहनती हैं। विभाग ने जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षणिक सुविधाएं सृजित कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की पहल करने की आवश्यकता जताई। आदिवासी क्षेत्रों का हर बच्चा स्कूल आएगा। इस समय इसके लिए कदम उठाने की अपील की गई।