हर्षवर्धन सपकाल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: लोकसभा चुनाव में मिली उल्लेखनीय सफलता के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य भर में करारा झटका लगा था। पार्टी के अनेक दिग्गज चुनाव हार गए थे। अब जब स्थानीय निकाय चुनाव सिर पर है तो पार्टी हर बार संकट में साथ देने वाले विदर्भ को साधने की रणनीति पर कार्य कर रही है। वह नागपुर सहित विदर्भ के अधिक से अधिक स्थानीय निकाय संस्थाओं में जोरदार वापसी के लिए सभी तरह के समीकरणों पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।
भीतरखाने की मानें तो बीते चुनाव में हारने वाले किसी भी उम्मीदवार को इस बार रिपीट नहीं किया जाएगा। नये, उत्साहित, सक्रिय युवा चेहरे अधिक नजर आएंगे। प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने अपनी नियुक्ति के बाद से सारे जिलों का दौरा कर संगठन के विस्तार व पुनर्रचना पर कार्य करना शुरू किया है। नागपुर में शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे मनपा में वापसी को अपना टारगेट बनाकर कार्य कर रहे हैं।
ओबीसी आरक्षण मुद्दे को लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लंबे अरसे से लटके हुए थे। अब जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार चुनाव कराने की तैयारी शुरू है तो सभी मुख्य पार्टियों ने ओबीसी को सर्वाधिक अहम घटक मानते हुए नीति तय करना शुरू कर दिया है। भले ही ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण है लेकिन कांग्रेस मनपा, जिला परिषद, नगर परिषद, नगर पंचायत आदि चुनावों में 40 फीसदी ओबीसी उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर रही है, वह भी खासकर संपूर्ण विदर्भ में।
इसी रणनीति के चलते वह कार्यकारिणी पुनर्रचना में अधिक से अधिक ओबासी कार्यकर्ताओं को पद देने की तैयारी में है। वहीं भाजपा, एनसीपी, शिवसेना आदि पार्टियों में ओबीसी वोट को अपने पाले में करने की नीति तय की जा रही है। भाजपा की ओर गए दलित वोटों को वापस अपने पाले में लाने के लिए भी कांग्रेस प्रयास कर रही है।
मैदान में इस बार आम आदमी पार्टी, विदर्भ राज्य पार्टी, एमआईएम और रिपब्लिकन पार्टियों व संगठनों की युति कमर कसकर मैदान में उतरने वाली है। छोटी पार्टियों का गठबंधन भी तैयार होने की संभावना है। कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर भाजपा के प्रति लोगों की भारी नाराजगी है। ये नाराज वोट उसकी ओर आ सकते हैं।
अगर नहीं भी आए तो छोटी पार्टियों या फिर नोटा की ओर जाएंगे। मतलब भाजपा के वोट में सेंध लगेगी जिसका लाभ उसे हो सकता है। कांग्रेस भाजपा शासन के भ्रष्टाचारों को उजागर करने, अनियोजित विकास से शहरी व्यवस्था की हुई बर्बादी, मूलभूत सुविधाओं को चुनावी मुद्दा बनाने की बात पहले ही कह चुकी है। नागपुर सहित विदर्भ भर में उसकी यही रणनीति समझी जा रही है।
यह भी पढ़ें – ‘विष्णु के 11वें अवतार मोदी’, पुरोहित ने बताया भगवान, कहा- 3 महीने से ट्रंप…
कांग्रेस का आरोप रहा है कि भाजपा सोशल मीडिया के माध्यम से गलत प्रचार कर लोगों को भ्रमित करती है। इसके लिए वह करोड़ों रुपये खर्च करती है। स्थानीय निकाय चुनावों में वैसे तो स्थानीय मुद्दों पर चुनाव केन्द्रित होता है, कांग्रेस इस बार सोशल मीडिया युद्ध में भी पूरी आक्रामकता के साथ उतरने की प्लानिंग कर रही है। भाजपा या महायुति के झूठे प्रचारों का पोल खोलते हुए जनता तक वस्तुस्थिति पहुंचाने का कार्य वह सोशल मीडिया के जरिये करने वाली है। जानकारी के अनुसार मीडिया सेल के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को आलानेता मार्गदर्शन करने वाले हैं।