दयनीय होती जा रही आश्रम शालाओं की हालत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: राज्य सरकार ने आदिवासी आश्रम विद्यालयों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने का वादा तो किया है लेकिन हकीकत में इन विद्यालयों की उपेक्षा की तस्वीर ही सामने आ रही है। राज्य के आश्रम शालाओं में शिक्षकों के 1,791 पद रिक्त हैं। इनमें नागपुर विभाग में 608 पद शामिल हैं। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है।
विदर्भ में आदिवासी आश्रम शालाओं का शैक्षणिक सत्र 27 जून से शुरू हुआ। विभाग में 76 सरकारी और 133 अनुदानित आश्रम शालाओं में क्रमशः 22 हजार और 42 हजार छात्र अध्ययनरत हैं। सरकारी आश्रम शालाओं की बात करें तो यहां शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों के 1,456 पद स्वीकृत हैं। इनमें से केवल 848 पद यानी 58 प्रतिशत पद ही भरे हुए हैं जबकि 608 पद यानी 42 प्रतिशत पद रिक्त हैं। शिक्षकों की कमी के कारण, खासकर विज्ञान और गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के छात्रों को शैक्षणिक रूप से नुकसान हो रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में आदिवासी विकास विभाग ने मुख्याध्यापकों को शिक्षण सेवक शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार देकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया था। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। अब राज्य स्तर पर एक एजेंसी के माध्यम से टीईटी उत्तीर्ण उम्मीदवारों को शिक्षण सेवक के रूप में नियुक्त करने की योजना है। स्कूल शुरू होने के एक महीने बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी जिससे छात्रों का शैक्षणिक नुकसान बढ़ रहा है।
आश्रम शालाओं में कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों को पाठ्य सामग्री के लिए डीबीटी के माध्यम से दो किस्तों में अनुदान दिया जाता है। जिससे नोटबुक, पेंसिल, जूते, मोजे, छाते आदि खरीदे जाते हैं। इस वर्ष यह अनुदान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए छात्रों की शिक्षा में बाधा आ रही है।
ये भी पढ़े: मनपा में NCP का ‘भीख मांगो’ आंदोलन, निजी कंपनियों पर PF रोकने का लगाया आरोप
उल्लेखनीय है कि आदिवासी विकास मंत्री ने वादा किया था कि स्कूल प्रवेश समारोह के दौरान जल्द ही यूनिफॉर्म प्रदान किया जाएगा लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी छात्रों को यूनिफॉर्म नहीं मिली। गरीब अभिभावकों के लिए सामग्री खरीदना मुश्किल हो रहा है। पहली कक्षा के छात्रों को यूनिफॉर्म न मिलने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।