
पावर प्लांट (सौजन्य-IANS)
Chandrapur super critical plant: महाराष्ट्र की पावर कैपिटल चंद्रपूर में प्रदूषण की गंभीर समस्या को कम करने और पुराने हो चुके बिजली उत्पादन यूनिट्स को बदलने के लिए सुपर क्रिटिकाल तकनीक पर आधारित एक नया बिजली परियोजना स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। इस परियोजना के तहत 800 मेगावाट क्षमता के नए संच (यूनिट्स) लगाने की सरकार की भूमिका है।
अन्य चिंताएं: विपक्ष ने चिंता जताई कि नए प्लांट लगाते समय इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि प्रदूषण कम से कम हो। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार एक यूनिट के बजाय दो 800 मेगावाट यूनिट्स लगाने पर विचार कर रही है, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा कि मांग के अनुसार केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के तहत ये केंद्र चरणबद्ध तरीके से बढ़ाए जाएंगे।
वर्तमान में चंद्रपूर में पुराने और कालबाह्या हो चुके यूनिट्स के कारण बड़े पैमाने पर प्रदूषण होता है। पहले ही यूनिट नंबर 1 और 2 बंद कर दिए गए हैं, और भविष्य में यूनिट नंबर 3 और 4 को भी बंद करना पड़ेगा।
चंद्रपूर को इस परियोजना के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यहां ट्रांसमिशन रेडीनेस मौजूद है एचवीडीसी लाइन मुंबई और भद्रावती ग्रिड के निकट होने के कारण ग्रिड की स्थिरता भी सर्वोत्तम है। इसके अलावा, यहां डब्ल्यूसी का कोयला बड़े पैमाने पर उपलब्ध है, और कोयला सस्ता भी मिलता है।
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नए प्लांट सुपर क्रिटिकल या अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करेंगे, जिससे प्रदूषण कम होगा और कम कोयले में अधिक बिजली उत्पादन होगा। 800 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित खर्च 9892 करोड़ रुपये अपेक्षित है।
इस परियोजना को केंद्र सरकार की 2030-32 तक संचालन के लिए उपलब्ध हो सकने वाले ‘कैंडिडेट प्रोजेक्ट्स’ की सूची में शामिल किया गया है। सरकार ने 800-800 मेगावाट के संच लगाने की अपनी मंशा बताई है, और रिप्लेसमेंट पावर प्रोजेक्ट को तत्काल मंजूर करने की मांग की गई है।
इस परियोजना की व्यवहार्यता की जांच की जा चुकी है और महानिर्मिती ने एक सलाहकार के माध्यम से इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इसकी मान्यता जल्द ही मिलने की उम्मीद है।






