ट्रैवल्स निजी बसें (सौजन्य-नवभारत)
Travels Buses in Nagpur: नागपुर शहर से ऑपरेट होने वाली निजी ट्रैवल्स बसों के संचालक और चालक किस तरह अधिकारियों के आदेशों को बस के धुएं में उड़ा रहे हैं, इसका उदाहरण सड़कों पर फिर से देखने मिल रहा है। सिटी की सड़कों पर निजी बसों के स्टापेज और पार्किंग पर पाबंदी लगने के बावजूद बसें जगह-जगह रुक कर सवारियां भर रही हैं। मानो बस चालक डीसीपी ट्रैफिक के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हों। पहले की तरह ही अब रोड पर बसों का जमावड़ा लगने लगा है।
बस चालकों को तो चाहे जैसे हो पैसा कमाना है लेकिन ताजुब की बात यह कि यातायात शाखाओं के अधिकारियों और कर्मचारियों को ये अनियमितताएं दिखाई क्यों नहीं देतीं या तो वे आला अधिकारियों के आदेशों को नहीं मानते या फिर बस संचालकों के साथ सेटिंग है। यदि जोन की पुलिस सख्त हो जाए तो मजाल है कि कोई बस ऑपरेटर अपने हिसाब से सड़क पर पार्किंग कर ले या सवारी बैठा ले।
बस चालकों की मनमानी से शहर के सभी मार्गों पर यातायात व्यवस्था बिगड़ रही थी। एक्सीडेंट बढ़ने का खतरा भी पैदा हो रहा था। ऐसे में डीसीपी ट्रैफिक लोहित मतानी ने निजी बसों के शहर में रुकने पर पाबंदी लगा दी। सिटी के भीतर से केवल उन्हीं की बस चलेगी जिनके पास खुद की पार्किंग व्यवस्था होगी लेकिन उन्हें भी अपनी पार्किंग छोड़कर कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं है। 21 अगस्त को अधिसूचना जारी करके मतानी ने नई व्यवस्था लागू की। इसका असर भी देखने को मिला।
छत्रपति चौक ट्रैवल्स निजी बसें (सौजन्य-नवभारत)
निजी बसों का सड़कों पर जमावड़ा भी बंद हो गया था। इस सराहनीय पहल से नागरिकों में भी खुशी थी। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन धीरे-धीरे बस संचालक पैर पसारने लगे। मतानी ने शुक्रवार को ही नई अधिसूचना जारी की। इसमें 12 मार्च, 2026 तक यही व्यवस्था बनी रहने के निर्देश दिए गए थे। सुबह 8 से रात 10 बजे तक शहर के भीतर किसी भी बस की पार्किंग न होने के निर्देश दिए गए लेकिन शनिवार को स्थिति ढाक के तीन पात वाली हो गई। अधिसूचना की सूचना ही शायद बस संचालकों को नहीं मिली और फिर से एक के पीछे एक बसें रास्ते पर रुकने लगीं।
बस चालक दोबारा अपनी मनमानी न कर पाएं, इसीलिए निगरानी करने 7 विशेष दस्तों का गठन किया गया था। अब ये 7 दस्ते कहां काम कर रहे हैं, यह तो वे ही जानें लेकिन कृपलानी चौक, छत्रपति चौक, सक्करदरा, दिघोरी, अमरावती रोड पर लगातार बसों का जमावड़ा हो रहा है। गणराज, धनश्री, चिंतामनी, हिंदुस्तान, डॉ. आंबेडकर ट्रैवल्स की बसें खुलेआम रास्तों पर खड़ी रहती हैं।
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बसों पर प्रतिबंध लगने से आस-पास रहने वाले नागरिक बहुत खुश थे। दलालों की गालियां सुनाई नहीं देती थीं और कर्कश हॉर्न से भी छुटकारा मिला था लेकिन अब दोबारा माहौल खराब हो रहा है। व्यवस्था बनाए रखने में जोन के अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह विफल हैं। अधिकारियों के आदेशों का पालन करना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन सड़कों पर तो बस संचालकों और स्थानीय अधिकारियों का दोस्ताना माहौल दिख रहा है।