बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur News: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में वकीलों को बैठने की सुविधा के साथ ही बार रुम, महिला कक्ष, बार लाइब्रेरी और सरकारी वकील कार्यालय आदि में भी सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई। लगभग एक दशक पूर्व दायर इस याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार कई सुविधाएं प्रदान भी की गईं।
14 जुलाई 2021 को सुनवाई के बाद अब शुक्रवार को याचिकाकर्ता एचसीबीए ने याचिका में सुधार की अर्जी दायर की जिसमें हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय रजिस्ट्रार को प्रतिवादी बनाने की मांग की है।
हाई कोर्ट की मुख्य इमारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित बार रूम, महिला कक्ष और बार लाइब्रेरी की देखभाल और रखरखाव करने और इनमें एयर कंडीशनिंग की सुविधा प्रदान करने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। एचसीबीए की ओर से अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने पैरवी की।
जुलाई 2021 में नागपुर में हुई भारी बारिश के चलते हाई कोर्ट के कामकाज पर भी संभवत: पहली बार इसका असर देखा गया था जिसमें कोर्ट की छत टपकने का मामला उजागर होते ही अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को उचित कार्यवाही करने का निर्देश भी जारी किया था।
हाई कोर्ट की नाराजगी का आलम यह था कि आनन-फानन में हरकत में आई सरकार ने न केवल 3,47,43,600 रुपए में से 3,04,59,900 रुपए निधि का भुगतान कर दिया था बल्कि बची निधि के लिए बजट में प्रावधान करने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया था। इस संदर्भ में फाइल वित्त विभाग को भेजे जाने की जानकारी इसी समय हाई कोर्ट में सरकारी वकील ने दी थी।
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याचिका पर गत सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने कहा था कि बारिश के कुछ दिन पहले तक सुधार कार्य चल रहा था लेकिन किए गए कार्यों का भुगतान नहीं होने के कारण संभवत: ठेकेदार ने कार्य रोक दिया, जबकि सुधार कार्य को मंजूरी दी गई थी। ठेकेदार ने अब तक अपनी ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
पुराणिक का मानना कि इसके अलावा इलेक्ट्रिकल्स और अन्य सिविल वर्क का काम भी पूरा किया जा चुका है लेकिन ठेकेदार को निधि उपलब्ध नहीं कराई गई। राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट में चल रहे कार्यों को तवज्जो नहीं दिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। यही कारण है कि जब इन कार्यों के लिए निधि का भुगतान करना होता है तो राज्य सरकार हाथ खींच लेती है जिसके बाद हाई कोर्ट के तेवर देखते हुए सरकार ने निधि भी तुरंत उपलब्ध कराई।