नायलॉन मांजा (सोशल मीडिया)
Nagpur City News: नागपुर शहर में प्रतिबंधित घातक नायलॉन मांजा की अंधाधुंध बिक्री के मद्देनजर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में पुलिस और नागपुर महानगरपालिका के अधिकारियों को बुधवार, 24 दिसंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। इस संबंध में मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई।
न्यायालय के संज्ञान में शहर के कई व्यापारी आए जो अवैध रूप से गुप्त गोदामों में नायलॉन मांजा का भंडारण कर रहे थे। कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। नायलॉन मांजा पक्षियों, पशुओं और मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
हाई कोर्ट ने पुलिस और संबंधित एजेंसियों को ‘लकी काइट सेंटर’, ‘जियो मार्ट’, ‘जस्ट डायल’ जैसे ऑनलाइन पोर्टलों के माध्यम से बेचे जा रहे नायलॉन मांजा पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया। साथ ही फेसबुक के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया था।
कोर्ट को सूचित किया गया कि फेसबुक ने नायलॉन मांजा से संबंधित आपत्तिजनक जानकारी हटा दी है। न्यायालय ने यह भी पूछा कि इस मामले में राज्य सरकार क्या भूमिका निभाएगी? जनवरी 2024 में उच्च न्यायालय ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को यह जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि क्या नायलॉन मांजा उद्योग को नियमित और मानकीकृत करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने 2017 में नायलॉन मांजा के उत्पादन, उपयोग, बिक्री और आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि उद्योग के नियमितीकरण के अभाव के कारण यह खतरनाक मांजा विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से बाजार में उपलब्ध है। न्यायालय ने पाया कि ऑनलाइन कंपनियां भी इसकी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध से बचने के लिए मानकीकरण का मुद्दा उठा रही हैं।
पुलिस द्वारा कोर्ट को दी गई जानकारी के अनुसार नायलॉन मांजा के धागे गुजरात और उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुके हैं। यह भी स्पष्ट किया गया कि फेसबुक समेत कुछ ई-कॉमर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग नामों से नायलॉन मांजा बेचा जा रहा है। इसी वजह से अदालत ने बीआईएस से देशव्यापी स्तर पर मांजा उद्योग के नियमितीकरण के बारे में पूछा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र देवेन्द्र चव्हाण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एडवोकेट रवि सन्याल, राज्य सरकार की ओर से एड। दीपक ठाकरे और मनपा की ओर से एड। सुधीर पुराणिक ने पैरवी की।
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पुलिस आयुक्त डॉ। रवींद्रकुमार सिंगल ने नायलॉन मांजा बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं और मामला दर्ज करने और आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि शहर में यह चर्चा है कि कुछ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी वित्तीय लाभ के लिए मांजा विक्रेताओं के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। विशेष रूप से डीबी स्क्वॉड के कुछ कर्मचारियों पर संदेह जताया जा रहा है।