
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur Court Case: नागपुर-काटोल राष्ट्रीय राजमार्ग के फोर लेन निर्माण कार्य में हो रही अत्यधिक देरी और सड़क सुरक्षा के मानदंडों की अनदेखी को लेकर दिनेश ठाकरे और सुमित बाबूता की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सड़क की स्थिति का जायजा लेने एवं जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया।
समिति को 2 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता महेश धात्रक ने पैरवी की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि राजमार्ग का काम अपनी निर्धारित समयसीमा से काफी पीछे चल रहा है।
स्रोतों के अनुसार नागपुर-काटोल खंड के फोर लेन निर्माण के लिए सितंबर 2021 की तिथि तय की गई थी और इसे 730 दिनों के भीतर यानी अगस्त 2023 तक पूरा किया जाना था। अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि यह परियोजना अपने निर्धारित समय से 4 साल पीछे चल रही है। याचिका में कहा गया है कि NHAI और केंद्र सरकार इस निर्माण को समय पर पूरा करने में विफल रहे हैं।
याचिकाकर्ता सुमित बाबूता द्वारा दायर एक अतिरिक्त शपथ पत्र में सड़क की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता जताई गई है। उनके अनुसार सड़क निर्माण के दौरान बनाए गए डायवर्जन रोड अत्यंत खराब स्थिति में हैं, जिससे वाहनों के फिसलने और दुर्घटना होने की पूरी संभावना बनी रहती है।
अदालत के पिछले आदेशों के बावजूद सड़क पर रेडियम बोर्ड और डायवर्जन बोर्ड का उचित रखरखाव नहीं किया जा रहा है, जो रात के समय यात्रा को और भी खतरनाक बना देता है। याचिकाकर्ताओं ने 11 दिसंबर 2025 को ली गईं तस्वीरों को साक्ष्य के रूप में पेश किया, जो सड़क की दयनीय स्थिति को उजागर करती हैं।
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दस्तावेजों के अनुसार हाई कोर्ट ने 26 मार्च 2025 और 8 मई 2025 को आदेश पारित कर अधिकारियों को स्थिति में सुधार करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य संबंधित विभागों ने अब तक अदालत में अनुपालन शपथपत्र दाखिल नहीं किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारी सड़क का उपयोग करने वाले आम लोगों के जीवन के प्रति गंभीर नहीं हैं।
इस मामले में केंद्र सरकार, NHAI और महाराष्ट्र सरकार सहित कुल 9 पक्षों को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डायवर्जन सड़कों पर डामर की उचित परत बिछाई जाए और निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए जाएं।






