फुटपाथ के भरोसे चल रहे बियर बार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: आम दूकानों और इमारतों के सामने नो पार्किंग पर वाहन खड़े होते ही पुलिस की टीम कार्रवाई करने पहुंच जाती है। टोइंग वैन की मदद से वाहन जब्त किए जाते है और चालान कार्रवाई करने के बाद छोड़े जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ बियर बार के सामने फुटपाथ और रास्ते पर वाहनों का जमावड़ा पुलिस को दिखाई नहीं देता। बारों के सामने खड़े रहने वाले वाहनों पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती।
दूसरी बात ये है कि फुटपाथ पर वाहन खड़े करके बार में जाने वाला व्यक्ति शराब पीने ही जाता है। पुलिस चाहे तो बार से निकलते ही शराबी वाहन चालक को पकड़ सकती है। लेकिन बार के आस-पास कोई पुलिसकर्मी भटकता ही नहीं। पुलिस की उपस्थिति में मजाल है कि कोई शराबी वाहन चालक बार से अपना वाहन लेकर निकल जाए लेकिन फिर भी आस-पास कार्रवाई होती नहीं दिखती।
शहर में 350 से ज्यादा बियर बार को अनुमति मिली है। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि अधिकांश बियर बार संचालकों के पास पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है। सवाल ये उठता है कि पार्किंग व्यवस्था नहीं होने के बावजूद बियर बार को अनुमति मिली कैसे। परमिट रूम को मंजूरी देते समय यातायात पुलिस सेभी अभिप्राय मांगा जाता है। पार्किंग की व्यवस्था न होने पर यातायात पुलिस निगेटिव रिपोर्ट भेजती है। इसके बावजूद परमिट रूम को मंजूरी दी जाती है। मतलब दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है। भले ही एक्साइज विभाग नियमों का दरकिनार करके बार को मंजूरी दे, लेकिन इसके बाद भी पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वहां अवैध तरीके से खड़े होने वाले वाहनों पर कार्रवाई करें।
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बियर बार के सामने तो अनियमितता होती ही है। लेकिन शराब की दूकानों के सामने भी व्यवस्था बिगड़ी हुई है। हर शराब की दूकान के सामने वाहनों का जमावड़ा रहता है। वर्धा रोड पर छत्रपति चौक के समीप 2 शराब की दूकानें है। दोनों के सामने वाहनों की भीड़ लगी रहती है। वाहन रास्ते पर खड़े रहते हैं। बजाजनगर चौक पर बिलकुल मोड़ पर शराब की दूकान है। वहां भी मोड़ पर ही शराब खरीदने वाले वाहन खड़े करते हैं, जिससे आवाजाही प्रभावित होती है। रामेश्वरी चौक पर तो हालात और ज्यादा खराब है। यहां से अजनी ट्राफिक जोन का कार्यालय महज 1 कि.मी. दूर है। जरीपटका के वाइन शॉप्स के सामने तो अक्सर वाहन चालकों का शराबियों से विवाद होता है।
आम व्यापारिक प्रतिष्ठानों को तो नोटिस दे दिया जाता है लेकिन बार और वाइन शॉप संचालकों बेखौफ नियम तोड़ते हैं लेकिन उनपर कोई उंगली तक नहीं उठाता। नियमों की धज्जियां उड़ने के बावजूद अनदेखी की जाती है। असल में शराब व्यापारियों के साथ स्थानीय पुलिस के मधुर संबंध है। कई दूकानदार तो नियम को ताक पर रखकर समयावधि के बाद भी अपने प्रतिष्ठान शुरु रखते हैं। उनपर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाता। इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है।