
दाह संस्कार की लड़कियां (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Cremation Stats India: मनपा ने पर्यावरण अनुकूल दाह संस्कार के लिए भले ही कुछ कदम उठाए हैं और डीजल व गैस शवदाह गृह जैसे विकल्प प्रदान किए हैं लेकिन अभी भी जनता का झुकाव पारंपरिक दाह संस्कार की ओर है। गत साढे 3 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार दाह संस्कार के लिए 40,482 टन लकड़ी का उपयोग किया गया था। मनपा एक शव के लिए 300 किलो लकड़ी प्रदान करती है।
इस हिसाब से पिछले साढ़े 3 सालों में 2,83,374 पेड़ों की हत्या कर दी गई है। चूंकि अंतिम संस्कार करते समय परंपरा और कई लोगों की भावनाएं अनुष्ठान से जुड़ी होती हैं, इसलिए डीजल और गैस शवदाह गृह का उपयोग कम हो रहा है। दूसरी ओर विकास कार्यों को लेकर भी पेड़ों की हत्या हो रही है और पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
मनपा ने 1 अप्रैल 2022 से 31 जुलाई 2025 तक दाह संस्कार के लिए लकड़ी पर खर्च की जानकारी दी। इन साढ़े 3 वर्षों के दौरान दाह संस्कार के लिए 10,12,06,281 रुपये की लकड़ी उपलब्ध कराई। सूचना के अधिकार में आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारकर को मनपा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, एक शव के लिए 300 किलो लकड़ी उपलब्ध कराई जाती है।
वर्तमान में लकड़गंज में लकड़ी के बाजार में जलाऊ लकड़ी की दर 2,500 रुपये प्रति टन है। इस हिसाब से दाह संस्कार के लिए 10,12,06,281 रुपये की लागत से 40,482 टन लकड़ी जलाई गईं। एक टन में लगभग 7 पेड़ होते हैं। इस प्रकार, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 40,482 टन जलाऊ लकड़ी के लिए 2,83,374 पेड़ों को काट दिया गया।
मनपा के पास 21 श्मशान घाट हैं और यहां दाह संस्कार के लिए गाय के गोबर और बायो-कोल ब्रिकेट का इस्तेमाल किया जाता है। पिछले साढ़े 3 सालों में गाय के गोबर पर 72,96,558 रुपये खर्च किए गए। लोगों ने दाह संस्कार के लिए गाय के गोबर की बजाय बायो-कोल ब्रिकेट पर भी ज़ोर दिया है।
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दाह संस्कार में 3,19,70,500 रुपये के बायो-कोल ब्रिकेट का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, वैशालीनगर और गंगाबाई घाट पर डीजल शवदाह गृह हैं जिनमें शवों के दाह संस्कार पर 1,12,19,707 रुपये खर्च किए गए हैं।
| सामान | खर्च |
|---|---|
| लकड़ी पर खर्च | 10,12,06,281 रुपये |
| गोबरी पर खर्च | 72,96,558 रुपये |
| बायो-कोल ब्रिकेट पर खर्च | 3,19,70,500 रुपये |
| डीजल, बिजली, गैस पाइपलाइन पर खर्च | 1,12,19,707 रुपये |
| कुल खर्च | 15,16,93,046 रुपये |






