नागपुर एयरपोर्ट और कलेक्टर विपिन इटनकर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: एक ओर हम नागपुर को ग्लोबल सिटी बनाने की दिशा में काम करते रहते हैं वहीं अहम प्रोजेक्ट की फाइलें ‘अटकती-भटकती और लटकती’ रहती हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि नागपुर को इस प्रतिस्पर्धी युग में कैसे ग्लोबल सिटी बनाया जा सकता है। एयरपोर्ट के विकास की गति को देखकर तो कम से कम यही कहा जा सकता है। अब कछुआ गति बोलना भी ठीक नहीं है।
अब तो ऐसा लगने लगा है कि ‘हाथी’ की मदमस्त चाल से कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। एयरपोर्ट का निजीकरण कोई छोटी बात नहीं है। एयरपोर्ट के विकास का सीधा संबंध ‘विदर्भ’ के विकास से जुड़ा है। इस केंद्र को लेकर ही टाइमपास की नीति अपनाई जा रही है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी जमीन हस्तांतरण नहीं होना सभी को आश्चर्य में डाल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जनवरी के पहले सप्ताह में ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जमीन हस्तांतरण की घोषणा की थी। इसके बाद जीएमआर को हवाई अड्डा देने का रास्ता साफ हो गया था लेकिन तब से लेकर अब तक फाइलें प्रक्रियाओं के दौर से ही गुजर रही हैं। मई में उम्मीद जागी थी, फिर जून भी गुजर गया और अब जुलाई आ गया है लेकिन फाइल को अंतिम मंजूरी नहीं मिल पाई है।
एविएशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि एयरपोर्ट हस्तांतरण में जितना विलंब होगा, चुनौतियां उतनी अधिक बढ़ती जाएंगी क्योंकि नागपुर को हैदराबाद, रायपुर, भोपाल कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन एयरपोर्टों का विकास भी काफी तेजी से हो रहा है। खासकर हैदराबाद इस मामले में काफी आगे निकल चुका है।
जिस प्रकार प्रोजेक्ट को ग्लोबल बनाने की दिशा में पहल हो रही है, प्रशासनिक कार्य पद्धति ग्लोबल नहीं हो पा रही है। कार्य भी ग्लोबल तरीके से ही करना होगा तभी चीजें समय पर पूर्ण होंगी और फल भी अपेक्षित मिलेंगे। दोनों नेता ग्लोबल लुक देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मेट्रो से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक के कार्य हो रहे हैं परंतु जब बात एयरपोर्ट की आती है तो यहां पर हम ‘स्वदेशी’ हो रहे हैं। न ही एयरपोर्ट ‘ग्लोबल’ बन रहा है और न ही हम ‘ग्लोबल’ को जोड़ पा रहे हैं। दोनों ही पैमानों पर सिटी बुरी तरह से पिछड़ रही है और सभी खामोशी से इन बातों को देख रहे हैं।
इस बीच यह पता चला है कि एमआईएल और एएआई के साथ ही जीएमआर के अधिकारी एयरपोर्ट संचालन में अपनी भागीदारी करने लगे हैं। कई अधिकारी अब एयरपोर्ट में नियुक्त किए जा चुके हैं। एयरपोर्ट के वर्तमान संचालन से लेकर भविष्य की योजनाओं पर कार्य आरंभ कर चुके हैं परंतु उनकी पकड़ पूरी तरह से मजबूत नहीं हो पा रही है क्योंकि अधिकृत रूप से जमीन हस्तांतरण नहीं हो पाया है।
वर्तमान में मिहान इंडिया लि. (MIL) एयरपोर्ट का संचालन कर रही है। दूसरी ओर जीएमआर के अधिकारी इंतजार में हैं कि कब उन्हें जमीन मिले और नई-नई घोषणाएं कर कार्य को आगे बढ़ाया जाए। इस परिस्थिति को जल्द से जल्द बदलने की जरूरत सिटी के लोग करने लगे हैं।
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एआईडी अध्यक्ष आशीष काले ने कहा, “केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया गया है कि इस मामले का हल जल्द से जल्द निकाला जाए, ताकि नये सिरे से एयरपोर्ट के विकास का रास्ता साफ हो सके। सारी प्रक्रियाएं पूर्ण हो चुकी हैं, केवल कैबिनेट मंजूरी मिलना बाकी है। मुझे लगता है कि जल्द हो जाना चाहिए।”
कलेक्टर विपिन इटनकर ने कहा, “एमएडीसी के जमीन हस्तांतरण का कार्य पूरा हो चुका है। राज्य सरकार की कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी है। चूंकि वर्तमान एयरपोर्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की जमीन पर संचालित है, इसलिए केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। हस्तांतरण करने में कोई प्रक्रिया बाकी नहीं है। मुझे लगता है कि जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी और नये सिरे से विकास का कार्य आगे बढ़ेगा।”