धार्मिक आधार पर नकारा स्कूल में प्रवेश (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: अल्पसंख्यक समाज की एक छात्रा को धर्म के आधार पर स्कूल में प्रवेश न दिए जाने के मामले में नागपुर के जरीपटका स्थित दयानंद आर्य कन्या विद्यालय के सचिव राजेश लालवानी और शिक्षिका सिमरन ज्ञानचंदानी के खिलाफ जरीपटका पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग को छात्रा के अभिभावकों द्वारा इस भेदभावपूर्ण व्यवहार की शिकायत की गई थी।
इस शिकायत के आधार पर आयोग के अध्यक्षप्यारे खान ने शिक्षा विभाग और महिला व बाल विकास विभाग को जांच के आदेश दिए थे। जांच में शिकायत सही पाई गई। लिहाजा, स्कूल की प्रधानाध्यापिका गीता हरवानी की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 299 (जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से धार्मिक भावनाओं का अपमान करना) के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल के सचिव राजेश लालवानी ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 में मुस्लिम छात्राओं को स्कूल में प्रवेश न देने का निर्देश शिक्षकों को दिया था। कुछ शिक्षकों ने उनके दबाव में मुस्लिम छात्राओं के प्रवेश आवेदन लंबित रखे, जबकि कुछ पालकों को यह कहकर मना कर दिया गया कि “स्कूल में कोई सीट उपलब्ध नहीं है।” इस भेदभाव के खिलाफ छात्राओं के अभिभावकों ने अल्पसंख्यक आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने महिला एवं बाल विकास विभाग तथा शिक्षा विभाग को जांच के निर्देश दिए थे। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह मामला धर्म के आधार पर किया गया भेदभाव है। इसी आधार पर संस्था सचिव राजेश लालवानी और शिक्षिका सिमरन ज्ञानचंदानी के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
स्कूल की कार्यप्रणाली पर बोलते हुए प्रधानाध्यापिका गीता हरवानी ने सचिव राजेश लालवानी के धर्मविरोधी विचारों, शिक्षकों पर बनाए गए दबाव, और भेदभावपूर्ण नीतियों का विरोध करते हुए आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने शिकायत की पुष्टि होने के बाद कानून के अनुसार कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके तहत यह मामला दर्ज किया गया। फिलहाल, इस मामले की जांच जरीपटका पुलिस कर रही है।
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने कहा कि शिक्षा जैसे पवित्र कार्य में किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार नहीं किया जा सकता। यदि किसी अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्था में इस प्रकार की अनियमितताएं हो रही हैं, तो आयोग इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। शिक्षा सबके लिए है, इसलिए किसी भी शैक्षणिक संस्था में भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा।