1,246 कारखाने बंद, रोजगार सृजन पर असर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur District:विदर्भ की एमआईडीसी में कारखानों की गंभीर स्थिति एवं बंद होते जा रहे सैकड़ों यूनिट को लेकर छपी खबर पर बुधवार को हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लिया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि कारखाने बंद होने से इसका सीधा असर रोजगार सृजन पर पड़ रहा है। ऐसे में खबर में व्यापक जनहित को देखते हुए इसे जनहित के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।
इसे याचिका के रूप में प्रेषित करने के लिए हाई कोर्ट ने अधिवक्ता संकेत चरपे को अदालत मित्र के रूप में नियुक्त किया। अदालत मित्र को 4 सप्ताह में जनहित याचिका के रूप में प्रेषित करने के आदेश भी दिए।
समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआयडीसी) द्वारा संचालित विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़े यूनिट्स का प्रश्न गंभीर होता जा रहा है। उद्योग विभाग के वरिष्ठ सूत्रों का हवाला देते हुए बताया गया कि वर्तमान में विदर्भ के 11 जिलों में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों में 1,246 यूनिट बंद हैं। इसके अलावा ऐसे यूनिट्स की संख्या 3,906 है जिनके लिए भूखंड का आवंटन हो चुका है लेकिन उनमें कोई प्रगति नहीं हुई है।
विवरण | नागपुर संभाग | अमरावती संभाग |
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औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या | 52 | 46 |
कुल भूखंड | 8,981 | 7,185 |
आवंटित भूखंड | 7,506 | 6,525 |
कार्यरत यूनिट | 4,219 | 2,526 |
बंद यूनिट | 829 | 417 |
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एमआईडीसी द्वारा संचालित औद्योगिक क्षेत्रों के अतिरिक्त विदर्भ में 10 सहकारी औद्योगिक बस्तियां (वसाहत) भी कार्यरत हैं। सहकारी औद्योगिक बस्ती वह व्यवस्था है जिसे उद्योगों के विकास के लिए तैयार किया गया है। इस व्यवस्था में उद्यमी सहकारी तरीके से एक साथ आकर उद्योग स्थापित करते हैं और लाभ या हानि को आपस में विभाजित करते हैं। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता, पूंजीगत हिस्सेदारी में हिस्सा और तकनीकी सलाह प्रदान की जाती है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों के उद्योगों को ग्रामीण भागों में स्थानांतरित करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना है। इन 10 सहकारी औद्योगिक बस्तियों में कुल 2,327 भूखंड हैं जिनमें से 2,248 भूखंडों का आवंटन किया जा चुका है। इन बस्तियों में 1,593 यूनिट कार्यरत हैं जबकि 120 यूनिट बंद हो चुके हैं।