शरद पवार, हर्षवर्धन सपकाल व उद्धव ठाकरे (डिजाइन फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। इससे पहले विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA) से एक बड़ी खबर सामने आई। एमवीए में विपक्ष के नेता पद को लेकर चल रहा झगड़ा समाप्त हो गया है। गठबंधन के प्रमुख दलों में ज्यादा सदस्य वाले फॉर्मूले पर सहमति बन गई है।
अब विधानसभा में ज्यादा विधायक होने की वजह पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना तय हो गया है तो वहीं विधान परिषद में कांग्रेस के ज्यादा सदस्य होने की वजह से विपक्ष का नेता कांग्रेस का होगा।
विधानसभा में शिवसेना (यूबीटी) की ओर से भास्कर जाधव या सुनील प्रभू तो वहीं विधान परिषद में सतेज (बंटी) पाटिल को विपक्ष का नेता बनाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बजट सत्र के पहले दिन विधानमंडल परिसर में आए कांग्रेस के महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व विधायक नाना पटोले ने विप अध्यक्ष पद पर कांग्रेस का दावा ठोकते हुए कहा कि विपक्ष के नेता को लेकर एमवीए में कोई मतभेद नहीं है। बंटवारे का फार्मूला समझाते हुए नाना ने कहा कि विधानसभा में ज्यादा विधायक होने की वजह से स्वाभाविक रूप से उद्धव गुट को विपक्ष के नेता का पद मिलेगा।
इसी तरह विधान परिषद में कांग्रेस के ज्यादा विधायक होने की वजह से विपक्ष का नेता कांग्रेस का होगा। मौजूदा समय में शिवसेना (यूबीटी) के नेता व विधायक अंबादास दानवे विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं। लेकिन कांग्रेस के दावे के बाद उनका पद अब छिनना तय माना जा रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2025 में शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीतीं हैं। तो वहीं कांग्रेस ने 16 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने 10 सीटें जीतीं। समाजवादी पार्टी-2 और सीपीआई (एम) की 1 सीट को मिलाने से विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी के 49 विधायक होते हैं।
288 विधायकों वाले महाराष्ट्र विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता के लिए 10 फीसदी सीट के फार्मूले के हिसाब से किसी भी विपक्षी दल के पास पर्याप्त संख्याबल यानी 29 विधायक नहीं हैं। इसलिए अभी तक विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद किसी पार्टी को नहीं मिला है।
जबकि विधानसभा में सबसे ज्यादा विधायकों वाला विपक्षी दल होने की वजह से शिवसेना (यूबीटी) शुरू से विपक्ष के नेता पद पर दावा ठोक रहा है। उद्धव गुट इसे अपना अधिकार बता रहा है। लेकिन एक तरफ दावा किया जा रहा है कि पर्याप्त संख्या बल नहीं होने पर किसी पार्टी को विपक्ष के नेता का पद दिया जाए या नहीं, इसका निर्णय विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के विवेक पर निर्भर होगा।
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जबकि दूसरी तरफ विधानसभा सचिवालय ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में कहा है कि विपक्ष के नेता पद के लिए कोई लिखित नियम उपलब्ध नहीं है। इससे शिवसेना (यूबीटी) के दावे को मजबूती मिली है।