विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के विपक्षी दल के नेताओं ने गुरुवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति के खिलाफ शिकायती पत्र दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि वे विपक्षी नेताओं को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने नहीं दे रहे हैं और उन्होंने राज्यपाल से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अबांदास दानवे ने यह लिखा है। उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और विधान परिषद के सभापति राम शिंदे की शिकायत की और राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता अबांदास दानवे द्वारा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि संसदीय प्रणाली में विपक्ष एक महत्वपूर्ण तत्व है, उनकी भूमिका सरकार का विरोध करना नहीं बल्कि सरकार के निर्णयों और नीतियों पर रोक लगाना है। आलोचना की आवश्यकता है और वैकल्पिक नीतियों का सुझाव दिया जाना चाहिए।
शिकायती पत्र में आगे लिखा है कि “हालांकि, महाराष्ट्र विधान परिषद सभापति और विधानसभा भवन में अध्यक्ष की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण एवं एकतरफा रुख अपना रहे हैं। दोनों सदनों की कार्यवाही में संसदीय परंपराओं का पालन न करते हुए, नियमों से हटकर सदन की कार्यवाही संचालित की जा रही है।”
सत्ताधारी पक्षाला साथ देऊन नियमबाह्य पद्धतीने काम करणाऱ्या सभापती आणि अध्यक्ष यांच्याविरोधात
महाविकास आघाडीच्या आमदारांनी आज राज भवन येथे राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन यांची भेट घेऊन निवेदन दिले. संसदीय प्रणालीमध्ये विरोधी पक्ष हा एक महत्त्वाचा घटक आहे. त्यांची भुमिका ही सरकार… pic.twitter.com/1wRqNx41YC — Ambadas Danve (@iambadasdanve) March 20, 2025
सदन में सभापति और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से विपक्षी दलों और विपक्षी नेताओं के साथ भेदभावपूर्व व्यवहार किया जा रहा है। सदन में विपक्षी सदस्यों को बाेलने नहीं दिया जाता है। यह विपक्षी दलों के सदस्यों को सदन में बोलने की अनुमति न देकर उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता ने लिखा कि विपक्षी सदस्यों को अपनी राय व्यक्त करने से रोका जा रहा है, तथा विपक्ष को अनियंत्रित तरीके से महत्वपूर्ण चर्चा करने से रोका जा रहा है। जबकि विपक्षी सदस्यों को विधान सभा में कटौती का प्रस्ताव करने का अधिकार है, सरकार उनके सुझावों पर प्रतिक्रिया नहीं देती है।
संबंधित विभागों के मंत्री एवं राज्य मंत्री अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान सदन में मंत्रियों की अनिवार्य उपस्थिति की अनदेखी कर रहे हैं। इसके अलावा, संबंधित विभागों के सचिव भी सदन की अदृश्य गैलरी में मौजूद नहीं हैं। विभाग से संबंधित न होने वाले मंत्रियों को संबंधित विभाग के राज्य मंत्री की उपस्थिति में बहस का जवाब देने का अधिकार दिया जा रहा है।
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इस तरह विधान परिषद के अध्यक्ष ने सदन चलाने में निष्पक्षता का अभाव दिखाया है और सदन का विश्वास खो दिया है। इसके अलावा, माननीय अध्यक्ष ने सदन चलाने में निष्पक्षता का अभाव दिखाया है। पत्र में राज्यपाल से निवेदन किया गया है कि इस मामले की जांच कर सही निर्णय लें और सुनिश्चित करे कि विपक्षी दलों को न्याय मिले।