उद्धव ठाकरे (Image- Social Media)
Mumbai News: मुंबई महानगरपालिका तथा स्थानीय निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रणनीति बदलने के संकेत दिए हैं. सूत्रों का दावा है कि पुराने साथियों से मिले धोखे के बाद उद्धव निकाय चुनावों में युवाओं अर्थात जेन-जी (जेडईएन-जेड) पर अपना दांव लगाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने 30 से 40 साल के युवाओं को पार्टी के उमीदवारी देने का मन बना लिया है. इससे उनकी पार्टी शिवसेना यूबीटी (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) में उनके साथ मौजूद उन उम्रदराज नेताओं में हड़कंप मच गया है जो वर्षों से नगरसेवक बनने का सपना देखते आए हैं और जिन्हें लग रहा था कि पार्टी में बीते तीन-चार वर्षों में मची भगदड़ के बाद अब उनकी इच्छा पूरी हो सकती है.
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुई बगावत तथा जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहावत की तर्ज पर पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन जाने के बाद उद्धव को जनता से सहानुभूति मिलने की उम्मीद थी. विपक्षी गठबंधन ‘महाविकास आघाड़ी’ (मविआ) ने लोकसभा चुनाव उद्धव की यूबीटी को बड़ा भाई तो वहीं विधानसभा चुनाव कांग्रेस को बड़ा भाई बनाकर लड़ा था. लोकसभा में यूबीटी को भले ही अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी लेकिन कांग्रेस और राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के उम्मीदवारों को भरपूर लाभ हुआ था.
दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में पूरी ‘मविआ’ का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. दोनों चुनावों में खासकर यूबीटी को कांग्रेस और शरद पवार से गठबंधन का अपेक्षित लाभ नहीं मिला था. इसलिए महापौर पद और सीटों के बंटवारे को लेकर रस्साकशी की आशंकाओं के बीच उद्धव ने अब निकायों के चुनावों के लिए अपनी रणनीति बदलने के संकेत दिए हैं. वह अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ गठबंधन करके आगे बढ़ना चाहते हैं तो वहीं उन्होंने 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले इच्छुक या पुराने नगरसेवकों को भी टिकट नहीं देने के संकेत दिए है.
मुंबई मनपा सहित राज्य के अन्य निकायों के बहुप्रतीक्षित चुनाव से उद्धव को ढेरों उम्मीद है. उन्हें विश्वास है कि राज्य, खासकर मुंबई का युवा वर्ग पार्टी और ठाकरे परिवार को उसका पुराना रुतबा फिर से वापस दिला सकता है. इसलिए उद्धव ने जेन- जी को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. इसकी एक वजह ये भी बताई जा रही है कि पार्टी में पद और प्रतिष्ठा पाने वाले ज्यादातर नेता, सांसद, विधायक एवं पदाधिकारी आज उफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे या फिर बीजेपी के साथ जा चुके हैं. 2017 में हुए मुंबई महानगरपालिका के चुनावों में जीतनेवाले शिवसेना के 84 नगरसेवकों में से भी आधे से ज्यादा पाला बदल चुके हैं. ऐसी विषम परिस्थितियों में विरोधियों का आक्रामकता के साथ मुकाबला करने के लिए उद्धव नए और बेदाग युवाओं को महानगरपालिका में भेजने की तैयारी कर रहे हैं.
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जेन जी उपनाम वर्ष 1997 से 2012 के बीच जन्में युवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इन 15 वर्षों में जन्में लगभग 30 से 40 साल की उम्र के लोग “डिजिटल नेटिव्स” होते हैं. इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ ही बड़े हुए हैं और इनकी दुनिया डिजिटल युग के आसपास घूमती है. साल 2025 तक यह पीढ़ी दुनिया की करीब 30 फीसदी वर्कफोर्स बन चुकी है और अपनी अलग सोच और आदतों से समाज और अर्थव्यवस्था दोनों पर असर डाल रही है. इसी पीढ़ी ने पिछले दिनों बांग्लादेश और नेपाल में सरकार को उखाड़ फेंकने का करिश्मा दिखाया था.