उद्धव ठाकरे और रवींद्र चव्हाण (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: आगामी निकाय चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। इसी कड़ी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने बड़ा बयान देकर राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने बीएमसी चुनाव को लेकर शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे को चुनावी गठजोड़ का ऑफर दिया है। चव्हाण ने कहा है कि यदि उद्धव आते हैं तो उन्हें साथ लिया जाएगा। उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के साथ आने की चर्चाएं जोरों पर हैं।
इसी बीच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चव्हाण ने उद्धव को साथ लेने की तत्परता दिखाई है। एक टीवी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में चव्हाण ने कहा कि जिस तरह उप मुख्यमंत्री अजित पवार हमारी विचारधारा से जुड़े, उसी तरह अन्य कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रहित की सोच रखते हुए हमारे साथ आता है, तो उसका स्वागत करते हैं। भविष्य में हम उद्धव को भी साथ ले सकते हैं।
चव्हाण ने कहा कि उद्धव ने हमारे विचारों को त्याग दिया। वे जन सुरक्षा विधेयक का विरोध करके एक अलग रुख अपना रहे हैं। उद्धव ने अपनी भाषा बदल दी है। हमने विचारधारा कभी नहीं बदली। उद्धव को अहंकार को किनारे रखकर बालासाहेब ठाकरे के विचारों पर चलना चाहिए। दोनों ठाकरे एक साथ आएंगे या नहीं, यह वही तय करेंगे। फिलहाल हम अपना संगठन और अपनी ताकत बढ़ाएंगे।
क्या निकाय चुनावों में महायुति का गठबंधन होगा? इस पर चव्हाण ने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व दोनों उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार लेंगे। साल 2017 में जब हमने मुंबई के मेयर का पद शिवसेना को दिया था, तब क्या हुआ था, यह सभी जानते हैं।
अन्य दलों से भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं के बारे में चव्हाण ने कहा कि आने वाले समय में भाजपा और भी मजबूत होगी। यदि हम उन नेताओं को भाजपा में नहीं लेंगे, तो वे दूसरी पार्टियों में चले जाएंगे। इससे हमारी पार्टी को नुकसान होगा। इसीलिए कई लोगों को पार्टी में शामिल किया जा रहा है।
देश की सबसे अमीर मुबई महानगरपालिका की सत्ता काबिज करने राजनीतिक दलों ने विसाद बिछानी शुरू कर दी है। लगभग 25 साल तक वीएमसी पर राज करने वाले शिवसेना (ठाकरे गुट) के लिए आगामी चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। उद्धव व राज दोनों के सामने पार्टी का अस्तित्व बचाने की चुनौती है। वहीं 227 सदस्यों वाली बीएमसी के लिए भाजपा ने मिशन 150 का नारा बुलंद किया है। मराठी और गैर-मराठी का विवाद चुनाव में हावी रहने की संभावना है।
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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने कहा कि ठाकरे चुनाव को ध्यान में रखकर मराठी राजनीति करते हैं। मराठी जनता और भाषा का हित सर्वोपरि होना चाहिए, हिंदी को लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं है। सिर्फ उद्धव और राज भ्रमित हैं। सरकार ने उनका भ्रम दूर करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है, तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। निकाय चुनाव में हम विकास कार्यों के आधार पर ही लोगों से वोट मांगेंगे।
साल 2017 में शिवसेना (अविभाजित) के 84 नगरसेवक चुने गए थे और आगे चलकर मनसे सहित अन्य दलों से शामिल हुए नगरसेवकों के कारण शिवसेना की ताकत 97 तक पहुंच गई थी। इस बीच शिंदे गुट का दावा है कि ठाकरे के 50 से अधिक पूर्व नगरसेवक उनके साथ हैं।
पार्टी | संख्या |
---|---|
भाजपा | 82 |
कांग्रेस | 31 |
एनसीपी | 09 |
मनसे | 07 |
सपा | 06 |
MIIM | 02 |
निर्दलीय | 06 |