संजय राउत (सौजन्य-एक्स)
मुंबई: संजय राउत ने शिवसेना और राकां में हुई बगावतों को लेकर भाजपा पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों के विधायकों को डरा-धमका कर तोड़ा गया और भारी मात्रा में पैसे का इस्तेमाल किया गया। भय और भ्रष्टाचार के चलते ये दोनों पार्टियां टूटीं। राउत ने कहा कि गुलाबराव पाटिल के खाते में जब 40 से 50 करोड़ रुपये जमा हुए, तब उन्हें गिरफ्तारी का डर सताने लगा और इसी डर के चलते उन्होंने शिवसेना छोड़ दी।
अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना में सिर्फ निष्ठावान लोग बचे हैं। भास्कर जाधव की नाराजगी को लेकर राउत ने कहा कि जाधव हमारे सहयोगी हैं, पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और शिवसेना के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा है। उनकी क्या पीड़ा है, हम उसे समझेंगे। जाधव की इस धमकी का असर मुंबई पर भी हुआ है।
यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा कि जब जाधव मुंबई आएंगे तो पार्टी प्रमुख खुद उद्धव ठाकरे उनसे बात करेंगे। उन्होंने भास्कर जाधव की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि वे सच्चे शिवसैनिक हैं। उनकी छवि एक आक्रामक नेता की है और वे अच्छा बोलते हैं। ऐसे में आखिर में उनके मन में क्या चल रहा है। उनके मन में क्या दर्द है, पार्टी उसे जरूर समझेंगी।
संजय राउत ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी तीखा हमला बोला।उन्होंने कहा कि फडणवीस राज्य पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें मराठी स्कूलों को और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत, मराठी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। हमें तीसरी भाषा के रूप में हिंदी की जरूरत नहीं है।
उद्धव की शिवसेना पर बड़ा ग्रहण, भास्कर जाधव भी पार्टी से नाराज, छोड़ेंगे पार्टी?
कई लेखक, कवि और अभिनेता इस हिंदी थोपने की नीति का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने इसके खिलाफ अपने पुरस्कार भी लौटा दिए हैं। मैं उनके इस कदम की सराहना करता हूं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर मनसे ने आंदोलन शुरू कर दिया है और शिवसेना यूबीटी इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में जोरशोर से उठाएगी और सरकार से जवाब मांगेगी।