कोरोना काल में दर्ज मामले रद्द करने की मांग (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: कोरोना काल के दौरान विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अपने खिलाफ दायर मामलों को रद्द करने की मांग वाली भाजपा के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी, विधायक मनीषा चौधरी और सुनील राणे की याचिकाओं को मुंबई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति चंद्रशेखर और गौतम ए। अखंड की पीठ ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने के लिए एक प्रक्रिया तय की गई है।
तदनुसार, राज्य मंत्रिमंडल उपसमिति अपराध, शिकायतों को रद्द करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करती है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले के तथ्यों की जांच की जाती है और यदि यह पाया जाता है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कोई गंभीर अपराध नहीं हुए हैं, तो अपराधों को रद्द करने के लिए सिफारिशें भेजी जाती हैं। लेकिन सांसद और विधायक सीधे उच्च न्यायालय में अपराधों को रद्द करने की मांग नहीं कर सकते हैं।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को ये भी स्पष्ट बता दिया कि मंत्रिमंडल उप-समितियों की सिफारिशों को समीक्षा के लिए क्षेत्रीय समितियों के पास भेजा जाता है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अभियोजन पक्ष उचित जांच करते हैं और सरकार से उच्च न्यायालय में याचिका वापस लेने की सिफारिश करते हैं और तब ही उच्च न्यायालय संबंधित अदालतों को मामले को वापस लेने का आदेश देता है। इसके बाद भी याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने मामले को खारिज करने पर जोर दिया तो अदालत ने फटकार लगाते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया।
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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी (मविआ) सरकार के दौरान आई वैश्विक महामारी कोविड 19 (कोरोना) के समय भाजपा ने मुंबई के उपनगरों में कई जगहों विरोध प्रदर्शन किए थे। उस समय भाजपा के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी के खिलाफ दो, सुनील राणे के खिलाफ पांच और चौधरी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। शेट्टी और चौधरी ने इन्हीं अपराधों को निरस्त करने की मांग की थी।