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Mumbai News: बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है। बिहार चुनावों की सरगर्मी बढ़ने के साथ जब यह सवाल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सही जवाब नड्डा ही दे सकते हैं। आप ने गलत व्यक्ति से सवाल पूछा है। नितिन गडकरी ने इस लाख टके के सवाल पर चतुराई से उत्तर दिया। दरअसल, एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी से पूछा गया कि आखिर भाजपा का नया अध्यक्ष क्यों नहीं चुना जा रहा है। इसमें दिक्कत कहां है।
इस पर गडकरी ने कहा कि आपका सवाल बिलकुल सही है, लेकिन आपने यह सवाल गलत आदमी से पूछा है। यह सवाल आपको भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से पूछा जाए। वही इसका सही जवाब दे सकते हैं। इस सवाल का जवाब तो मेरे पास भी नहीं है। गौरतलब है कि लंबे समय से यह चर्चा चल रही है कि बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी में सहमति नहीं बन पा रही है।
जेपी नड्डा बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। पहले उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। बाद में उनकी नियुक्ति पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर हुई थी। ऐसे में जेपी नड्डा वर्ष 2020 से काबिज हैं। पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें विस्तार दिया गया था। बीजेपी अध्यक्ष का चुनने में देरी का सवाल दिल्ली में संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी पूछा गया था, तब उन्होंने कहा कि अगर हम चुनते तो क्या इतनी देरी होती?
बीजेपी अध्यक्ष की चर्चा एक बार फिर इसलिए छिड़ी है क्योंकि 22 सितंबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि में बीजेपी इस दिशा में सोच सकती है, क्योंकि 2 अक्तूबर विजयादशमी के मौके पर नागपुर के संघ मुख्यालय में 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम भी रखा गया है। इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जहां चीफ गेस्ट होंगे तो वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत अपना संबोधन देंगे। इस कार्यक्रम पर सभी की नजरें टिकी हैं।
सूत्रों के अनुसार ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस साल के आखिर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावों की तारीखों का ऐलान होने से पहले नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है। ऐसा दावा करने वाले नेताओं का कहना है कि पार्टी नए अध्यक्ष के नेतृत्व में ही उतरेगी। बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी के पीछे उपराष्ट्रपति चुनाव का हवाला दिया जा रहा है। चर्चा है कि नए अध्यक्ष की पसंदगी के लिए 100 से अधिक वरिष्ठ नेताओं का मन टटोला गया है।
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बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में देरी का सवाल गडकरी से इसलिए एक टीवी इंटरव्यू में पूछा गया क्योंकि वह नागपुर से आते हैं। नए अध्यक्ष के चुनाव में संघ की भूमिका अहम मानी जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि चूंकि सीपी राधाकृष्णन ओबीसी हैं। ऐसे में बीजेपी उस दबाव से बाहर आ गई कि नए अध्यक्ष ओबीसी होना चाहिए। ऐसे में किसी सवर्ण नेता पर पार्टी दांव खेल सकती है।